ग्वालपाड़ा जिला के लखीपुर में गत 23 अक्टूबर को अखिल असम मियां परिषद की ग्वालपाड़ा जिला समिति की पहल पर लखीपुर के दापकारभिटा में मियां संग्रहालय स्थापित किया गया था। मियां संग्रहालय की स्थापना के तुरंत बाद राज्य भर में भारी विवाद और विरोध प्रदर्शन आरंभ हो गया। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की ओर से भी प्रतिक्रिया आई थी, जिसके बाद ग्वालपाड़ा जिला प्रशासन ने मंगलवार को कार्रवाई शुरू कर दी। इसी कड़ी में बुधवार को अवैध रूप से निर्मित मियां संग्रहालय को ग्वालपाड़ा प्रशासन की देखरेख में सील कर दिया गया है।
जिला पुलिस ने इस संबंध में कार्रवाई करते हुए आज मियां परिषद के केंद्रीय महासचिव मियां अब्दुल बातेन शेख को गौरीपुर के आलमगंज से गिरफ्तार कर लिया। खबरों के मुताबिक, मियां अब्दुल बातेन शेख लखीपुर में मियां म्यूजियम के उद्घाटन समारोह में मौजूद थे। अब्दुल बातेन शेख धुबरी स्थित बीएन कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं। उधर, पुलिस ने ग्वालपाड़ा निवासी मियां परिषद के अध्यक्ष मोहर अली को भी गिरफ्तार कर लिया है।
असम पुलिस के विशेष महानिदेशक जीपी सिंह ने आज एक ट्वीट में कहा है कि ग्वालपाड़ा के मोहर अली और धुबरी के अब्दुल बातेन के खिलाफ घोघरापारा पुलिस थाने में मामला संख्या 163/22, यू/एस-120 (बी)/121/121 (ए)/122 आईपीसी, आर/डब्ल्यू-सेक्टर-10/13 यूए (पी) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जीपी सिंह के अनुसार, अलकायदा और बांग्लादेश स्थित कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्ला के साथ परिषद के संबंधों को लेकर भी दोनों व्यक्तियों से पूछताछ की जाएगी। पता चला है कि गिरफ्तार किये गये दोनों को लेकर पुलिस की एक टीम धुबरी से गुवाहाटी के लिए रवाना हो चुकी है।
एक अन्य ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मियां संग्रहालय का उद्घाटन करने वाली अहोम रॉयल सोसाइटी के महासचिव तनू धादुमिया को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। तनू धादुमिया को पुलिस ने डिब्रूगढ़ जिला के नामरूप पुलिस थाने के कवाईमारी गांव स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि तनू धादुमिया नाहरकटिया जूनियर कॉलेज का प्रिंसिपल है। पुलिस इस मामले की सघन जांच कर रही है।
वहीं इस मामले में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि यह किस तरह का संग्रहालय है। संग्रहालय में उन्होंने जो हल रखा है, उसका उपयोग असमिया लोग करते हैं, यहाँ तक कि मछली पकड़ने के लिए उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ भी असमिया समुदाय से हैं। इसमें नया क्या है? ‘लुंगी’ को छोड़कर वहाँ रखी गई हर चीज असमिया लोगों की है। उन्हें यह साबित करना होगा कि नंगोल (हल) का उपयोग केवल मिया लोग करते हैं, अन्य नहीं। अन्यथा, मामला दर्ज किया जाएगा। संग्रहालय में केवल पारंपरिक वस्तुएँ हैं जो पूरे असमिया समाज की संस्कृति को दर्शाती हैं न कि मियाँ समुदाय की।
मुख्यमंत्री ने कहा – राज्य के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए। जब मैंने मियाँ शायरी के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्होंने मुझे सांप्रदायिक कहा। अब मियाँ कविता, मियाँ स्कूल, मिया संग्रहालय यहाँ हैं… सरकार कार्यालय खुलने के बाद मामले पर कार्रवाई करेगी।
जानकारी के अनुसार जो मुस्लिम बंगाल से माइग्रेट कर गए थे और 1890 के दशक के अंत में असम में बस गए उनके लिए मियां शब्द का उपयोग किया जाता है। इन्हें अंग्रेजों ने कथित तौर पर व्यावसायिक खेती के लिए उन्हें खरीदा था।
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