बर्फी के लिए चने का शुद्ध बेसन भूना जाता है और इसमें मेवे मिलाए जाते हैं। बेसन की संतुलित भुनाई ही यहां की विशेषता है
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1980 में पंडित जगन्नाथ शर्मा ने हमीरपुर के साथ लगते अणु में हलवाई की दुकान से अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू किया। शर्मा एक साधारण परिवार से आते हैं। उनकी मिठाई आज हमीरपुर में ही नहीं, बल्कि प्रदेश सहित देश-विदेश में भी प्रसिद्ध हो चुकी है। उनकी यह दुकान पंडिता दी हट्टी के नाम से प्रसिद्ध है।
जगन्नाथ भारतीय परंपरा की सभी मिठाइयां बनाते हैं लेकिन उनकी खास पहचान है, उनकी दुकान में मिलने वाली c बेसन की बर्फी की प्रसिद्धि का आलम यह है कि यह हिमाचल के पारंपरिक गीतों में भी शामिल होने लगी है। इनकी प्रसिद्धि सुनकर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर भी इनकी दुकान में बेसन की बर्फी लेने पहुंचे। प्रदेश में कई जगह होने वाले कार्यक्रमों में विशेष तौर पर उनकी बेसन की बर्फी मंगवाई जाती है।
जगन्नाथ जी बताते हैं कि वे शुद्ध चने से बेसन की बर्फी बनाते हैं जिसे तेल में भूना जाता है। इसके अतिरिक्त तरह-तरह के मेवे भी मिलाए जाते हैं। हमीरपुर के आसपास के जो भी लोग विदेश में रहते हैं, वे विदेश जाते समय इनकी बेसन की बर्फी ले जाना नहीं भूलते। वे बताते हैं कि लोग इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया तक उनकी बेसन की बर्फी ले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि समय के साथ उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खासकर मिठाई बनाने वाले कारीगरों की समस्या हमेशा बनी रहती है। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि हर व्यवसाय में समय के साथ चुनौतियां आती हैं। उनसे पार पाना होता है।
श्री शर्मा ने बताया कि उनका व्यापार प्रमुख तौर पर हमीरपुर जिले में है। लेकिन प्रदेश के कोने-कोने से लोग यहां से मिठाई ले जाते हैं।
उनकी सफलता की यह कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ी और आज पंडिता दी हट्टी हमीरपुर में बेसन की बर्फी का एक प्रसिद्ध ब्रांड बन चुकी है। इसके अतिरिक्त सर्दियों में बनने वाली पिन्नी भी इनका प्रमुख ब्रांड है। यह पिन्नी विभिन्न प्रकार के मेवों को मिलाकर देसी घी में बनाई जाती है जो मिठाई और दवाई दोनों के तौर पर प्रयोग में लाई जाती है।
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