असम की राजधानी गुवाहाटी से करीब 320 किलोमीटर दूर स्थित करीमगंज जिले का एक गाँव आजकल भारतीय संस्कृति और सभ्यता को लेकर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हो भी क्यों न 21वीं सदी के इस दौर में जब पश्चिमी भाषा अंग्रेजी का बोलबाला है और उदासीनता के कारण देव भाषा कही जाने वाली संस्कृत इस गाँव का हर व्यक्ति पुनर्जीवन देने में लगा हुआ है। यहाँ का बच्चा-बच्चा संस्कृत बोलता है। यही कारण है कि इसे ‘संस्कृत गाँव’ (Sanskrit village) कहा जाता है।
ये गाँव करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसका नाम है ‘ग्राम पटियाला’, हालाँकि यहाँ के लोगों द्वारा संस्कृत भाषा बोलने के कारण इसे संस्कृत गाँव कहा जाने लगा है। 300 लोगों की जनसंख्या वाले इस गाँव में कुल 60 परिवार निवास करते हैं। परिवारों के बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी संस्कृत ही बोलते हैं। इन लोगों का कहना है कि संस्कृत देव भाषा है और बड़ी ही अर्थपूर्ण है। बावजूद इसके इसे लोगों द्वारा पर्याप्त रूप में नहीं बोला जाता है। ग्रामीण आने वाली पीढ़ियों को इस भाषा को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
सनातन संस्कृति की परंपराओं को आगे बढ़ा रहे इस गाँव के निवासी और पेशे से योग प्रशिक्षक दीप नाथ इसको लेकर कहते हैं कि सबसे पहले साल 2013 में उन्होंने यहाँ के लोगों को योग की शिक्षा देना आरंभ किया था। इसके दो साल बाद साल 2015 में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने गाँव का दौरा किया। दीपनाथ के मुताबिक, “यह 2015 में था जब हमारे गाँव में एक संस्कृत शिविर का आयोजन किया गया था और तब से हमने संस्कृत बोलना सीखा और अब यहाँ हर व्यक्ति यह भाषा बोलता है। हमारे गाँव में 60 परिवार हैं, जो अपने बच्चों के साथ इस प्राचीन भाषा का उपयोग करते हैं।”
दीप नाथ ने कहा कि वे अपनी संस्कृति को नई पीढ़ियों तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि योग शिविरों का आयोजन नियमित रूप से सुबह 5 बजे से सुबह 7 बजे तक किया जाता है और यहाँ हर निर्देश संस्कृत में दिया जाता है। इसके अलावा हर महीने गायत्री यज्ञ का भी आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हर व्यक्ति शामिल होता है। खास बात ये है कि इस गाँव के अधिकतर लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। केवल 15 लोग ऐसे हैं, जो कि नौकरियाँ कर रहे हैं। पटियाला गाँव की ही तरह अनीपुरबस्ती नाम के एक अन्य गाँव में भी लोग अब तेजी से संस्कृत को अपनी प्राथमिक भाषा के रूप में अपना रहे हैं।
वायरल हुई थी संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री
गौरतलब है कि हाल ही एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें गली में क्रिकेट मैच के दौरान एक बच्चे द्वारा सुपरफास्ट तरीके से संस्कृत भाषा में कमेंट्री करते हुए देखा गया था। ये वीडियो बेंगलुरू का बताया गया था। इसी तरह से पूर्व विदेशमंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने साल 2012 में बहुत ही शानदार तरीके से संस्कृत भाषा की व्याख्या की थी और ये सिद्ध कर दिया था कि संस्कृत जितनी शुद्ध भाषा कोई दूसरी नहीं। उन्होंने बताया था कि संस्कृत में हर वाक्य के लिए अलग शब्द हैं।
(इनपुट एएनआई)
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