पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में कुलपति की नियुक्ति को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच पत्र विवाद शुरू हो गया है। पंजाब सरकार ने डॉ. सतबीर सिंह गोसल को कुलपति नियुक्त किया था, राज्यपाल ने नियुक्ति को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पंजाब सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है। राज्यपाल के इस निर्णय को आधार बनाकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपनी चिरपरिचित शैली वाली राजनीति करनी शुरू कर दी और आरोप लगाया कि राज्यपाल ऊपर वालों के इशारे पर पंजाब सरकार के कामों में दखलंदाजी कर रहे हैं।
पूरे विवाद के बाद गवर्नर बीएल पुरोहित खुलकर सामने आए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली में राज्य सरकारें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। पंजाब सरकार कहती है कि कुलपति की नियुक्ति बोर्ड का अधिकार है तो उस बोर्ड का चेयरमैन कुलाधिपति राज्यपाल ही होता है। बोर्ड चेयरमैन यानी गवर्नर को बताए बिना गुप्त तरीके से नियुक्ति करना ठीक नहीं है। सच्चाई तो यह है कि यूनिवर्सिटी के मामलों में राज्य सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती। पंजाब के मुख्यमन्त्री भगवंत मान को शपथ मैंनें ही दिलाई थी, उन्हें समझना चाहिए।
राज्यपाल बीएल पुरोहित ने कहा कि मैं 4 साल तक तमिलनाडु का गवर्नर रहा। वहां व्यवस्था काफी बुरी थी। तमिलनाडु में कुलपति का पद 40-50 करोड़ रुपए में बिकता था। मैंने कानून के अनुसार तमिलनाडु में यूनिवर्सिटी के 27 कुलपतियों की नियुक्ति की थी। पंजाब सरकार को मुझसे सीखना चाहिए कि कामकाज कैसे होता है?
राज्यपाल ने कहा कि मैं नहीं जानता कि पंजाब में कौन कितना सक्षम है और कौन सक्षम नहीं है। मैं शिक्षा व्यवस्था में सुधार देखना चाहता हूं। पंजाब सरकार ने कार्यकाल के विस्तार के लिए मुझे 3 बार पत्र भेजा। यदि कुलपति की नियुक्ति में ही गवर्नर की कोई भूमिका ही नहीं है तो फिर कार्यकाल के विस्तार में भूमिका कैसे हो सकती है। अधिनियम के अनुसार भी बोर्ड का चेयरमैन गवर्नर होता है। गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने गुजरात और बंगाल के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णय बताए। हर विवि केन्द्रीय अधिनियम के अधीन होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में गुजरात सरकार ने भी यही दलील दी थी लेकिन केन्द्रीय नियमों को मान्य बताया गया था।
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने चेताया है कि यदि पंजाब सरकार अपने गलत स्टैंड पर रहती है और अपने स्तर पर ही कुलपति नियुक्त करती है तो वह मामले में कानूनी राय लेंगे। यदि मामले के संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मेरे पास आना चाहते हैं तो वह आ सकते हैं। फिर भी सरकार की जिद बरकरार रही तो फिर मैं कानूनी विमर्श के बाद आगे की कार्रवाई करूंगा।
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