इस ब्रांड के लड्डू बेसन और शुद्ध घी में बने होते हैं। लड्डू की 10 किस्में हैं, जो नरम और स्वादिष्ट होते हैं
ब्रांड के संस्थापक प्रमोद कुमार भदानी बताते हैं कि हमने इस सोच के साथ काम शुरू किया कि लोग बांटने के लिए नहीं, बल्कि खाने के लिए लड्डू खरीदें। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने बड़े भाई बिनोद प्रसाद भदानी के साथ दिन-रात मेहनत की। उन्होंने सबसे पहले लड्डू का आकार बदल कर इसे थोड़ा नरम और अधिक स्वादिष्ट बनाया। इसके लिए बेसन के साथ शुद्ध घी का प्रयोग किया, जो लोगों को पसंद आए। दिनोंदिन उनके उत्पाद की मांग बढ़ने लगी।
इस तरह प्रमोद के लड्डू को प्रसिद्धि मिलती गई। स्थिति यह हो गई कि न सिर्फ गया प्रमंडल, बल्कि डेहरी, सासाराम, पटना आदि से आने वाले लोग अपने साथ यह लड्डू ले जाने लगे। ग्राहकों की मांग पर दोनों भाई तरह-तरह की मिठाइयां भी बनाने लगे। इस तरह कारोबार बढ़ता गया और गया में इनके आउटलेट भी खुलते चले गए।
अभी इस ब्रांड के गया में 8 और पटना में दो आउटलेट हैं। इसके अलावा, पतीसा पापड़ी, काजू बर्फी, गुड़ खस्ता, तिलकुट, अनरसा जैसी मिठाइयों की मांग भी काफी रहती है। 1998 में इन्होंने नमकीन भी बेचना शुरू किया। आज बिहार के हर क्षेत्र में इसके वितरक हैं। देश के दूसरे राज्यों में भी इस ब्रांड के वितरक हैं।
बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को एक छत के नीचे उत्तम कोटि का नाश्ता, मिठाई और फास्ट फूड (जंक फूड नहीं) मिले, इसके लिए ‘फूड ज्वाइंट’ शुरू किया। वर्तमान में प्रमोद लड्डू भंडार में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं। इसका कारोबार सौ करोड़ रुपये से अधिक का है।
गया हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां हर साल पितृपक्ष में दुनियाभर के लाखों हिंदू अपने पूर्वजों का पिंडदान करने आते हैं। यह बौद्ध मतावलंबियों के आस्था का केंद्र भी है। इसलिए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को एक छत के नीचे उत्तम कोटि का नाश्ता, मिठाई और फास्ट फूड (जंक फूड नहीं) मिले, इसके लिए ‘फूड ज्वाइंट’ शुरू किया। वर्तमान में प्रमोद लड्डू भंडार में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं। इसका कारोबार सौ करोड़ रुपये से अधिक का है। —
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