आज मुख्यमंत्री सहारा योजना हजारों परिवारों का दुख कम करने का काम कर रही है। जयराम सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य इन मरीजों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि ऐसे मरीजों का इलाज और उचित देखभाल सरलता से हो सके।
इसी प्रकार कुछ रोग ऐसे होते हैं, जिनकी आम तौर पर बाजार में चर्चा भी नहीं होती। रोग भी जटिल होते हैं, और इलाज भी कठिन होता है। लेकिन जो पीड़ित है, वह क्या करे? ऐसे में हिमाचल की जयराम ठाकुर सरकार की सरकार ऐसी योजना लेकर आई, जो इन जटिल-कठिन स्थितियों में सहारा बन कर उभरी है।
पहले एक शब्द इन बीमारियों के बारे में। पैरालिसिस या लकवा, पाकिंर्संस डिसीज, कैंसर, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, स्थायी अपंगता एवं रीनल फेल्योर। जो व्यक्ति इनकी चपेट में होता है, सिर्फ वह और उसका परिवार ही इनकी पीड़ा समझता है। इलाज लंबा चलता है, जटिल तो होता ही है। उससे भी बड़ी विडंबना यह है कि रोगी दूसरों पर आश्रित होकर रह जाता है।
ऐसे 20 हजार से ज्यादा जरूरतमंदों के लिए जयराम ठाकुर सरकार ने ‘सहारा’ योजना शुरू की है। इस योजना पर अब तक कुल 60 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
15 जुलाई, 2019 को शुरू की गई सहारा योजना सामाजिक कल्याण का एक नया अध्याय है। यह योजना उन लोगों के लिए भी सहारा बन चुकी है, जो गंभीर बीमारी या किसी हादसे के कारण दूसरों पर आश्रित हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग लगातार ऐसे मरीजों को चिह्नित करता जा रहा है, जिन्हें इस योजना के तहत मिलने वाली मासिक आर्थिक सहायता की जरूरत है।
आज मुख्यमंत्री सहारा योजना हजारों परिवारों का दुख कम करने का काम कर रही है। जयराम सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य इन मरीजों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि ऐसे मरीजों का इलाज और उचित देखभाल सरलता से हो सके। इस योजना के तहत जरूरतमंदों के बैंक खाते में हर महीने तीन हजार रुपये डाले जा रहे हैं।
सहारा योजना के तहत पार्किंसन, कैंसर, अधरंग, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, रीनल फेलियर और स्थायी अपंगता के शिकार मरीज शामिल हैं। पहले इस योजना के तहत लाभार्थियों को प्रतिमाह दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती थी, उस समय इस योजना के तहत 2 करोड़ 48 लाख से अधिक रुपए आवंटित किए गए थे । अब 29 अगस्त 2020 में यह राशि बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रतिमाह की जा चुकी है।
प्रदेश में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं या किसी हादसे के कारण उम्र भर के लिए असहाय हो चुके हैं। ऐसे लोग इलाज से लेकर खान-पान तक दूसरों पर आश्रित हैं। कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि परिवार का वही सदस्य असहाय होकर दूसरों पर निर्भर हो जाता है, जिसके ऊपर पूरे परिवार के जीवन-यापन की जिम्मेदारी होती है। या फिर जन्म के साथ ही किसी बच्चे को ऐसी बीमारी हो जाती है जिससे वह उम्र भर अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता।
इस तरह के मरीजों और उनके तीमारदारों की मदद के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सोच से सहारा योजना शुरू की गई। यह संभवत: देश के किसी राज्य में चलने वाली इकलौती योजना है। देश के अन्य राज्य भी जरूरतमंद मरीजों के लिए ऐसी योजना चलाकर कल्याण राज्य की नई गाथा लिख सकते हैं।
हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता
सहारा योजना के तहत पार्किंसन, कैंसर, अधरंग, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, रीनल फेलियर और स्थायी अपंगता के शिकार मरीज शामिल हैं। पहले इस योजना के तहत लाभार्थियों को प्रतिमाह दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती थी, उस समय इस योजना के तहत 2 करोड़ 48 लाख से अधिक रुपए आवंटित किए गए थे । अब 29 अगस्त 2020 में यह राशि बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रतिमाह की जा चुकी है।
बात सिर्फ मदद करने या राशि भेजने की नहीं है। जिला अस्पतालों सहित 14 बड़े अस्पतालों को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। इनमें प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध अस्पताल इंदिरा गांधी स्वास्थ्य अस्पताल भी शामिल है। इसेक अलावा स्तन एवं सर्जिकल कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन भी प्रदेश में तैनात की गई हैं।
यह मोबाइल वैन राजकीय मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर इन गंभीर बीमारियों को रोकने का काम करेंगी। इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले बीमारों को रेफर करने की आनलाइन मॉनिटरिंग का भी प्रावधान किया गया है।
कैसे शुरू हुई सहारा योजना
जयराम ठाकुर एक रैली को संबोधित कर अगले स्थल की ओर जा रहे थे। इसी दौरान एक पहचान के व्यक्ति ने उनसे आग्रह किया कि कृपया उनके साथ चलें आपको किसी के साथ मिलवाना है। जयराम ठाकुर ने कहा कि अगले कार्यक्रम के लिए देरी हो रही है आप उन्हें यहां ले आईए। इसके बाद व्यक्ति ने जिद करते हुए साथ चलने के लिए कहा। जयराम ठाकुर भी व्यक्ति के साथ चल पड़े। जैसे ही वो व्यक्ति के कमरे के भीतर दाखिल हुए तो उन्होंने देखा एक युवा बिस्तर पर पड़ा है, जिसे वह पहचानते भी थे।
दरअसल बिस्तर पर पड़ा व्यक्ति हादसे का शिकार हुआ था। हादसे के दौरान रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आने के कारण वह व्यक्ति जिंदगी भर के लिए चलने-फिरने में असमर्थ हो चुका था और खान-पान के लिए परिजनों पर ही आश्रित था।
जयराम ठाकुर यह दृश्य देखकर भावुक हो गए। इसके बाद उनके मन में यह बात घर कर गई कि ऐसे हजारों लोग हिमाचल में होंगे, जिनके लिए कुछ करने की जरूरत है। हालांकि तब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस योजना को लागू किया ताकि ऐसे लोगों की मदद हो सके।
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