उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सहित सभी रिजर्व फॉरेस्ट में अलर्ट घोषित किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है कि दीपावली से पहले शिकारी उल्लू को पकड़ने के लिए जाल बिछाते हैं। उल्लू की दीपावली के दिन पूजा कर बलि देकर कुछ लोग इससे टोटके करते हैं।
उत्तराखंड में कॉर्बेट और राजा जी नेशनल पार्क, रामनगर, तराई फॉरेस्ट डिविजन और नंधौर वाइल्डलाइफ क्षेत्र में बड़ी संख्या में उल्लुओं का वास है। इन उल्लुओं को पकड़ने के लिए शिकारी इन दिनों जंगलों के किनारे डेरा डाले रहते हैं। इन्हें बहेलिया कहा जाता है। बहेलिए रात्रि में जंगलों में प्रवेश लेते हैं क्योंकि उल्लुओं की मूवमेंट शाम होने के बाद ज्यादा दिखाई देती है।
कहा जाता है कि कुछ तांत्रिक और अंधविश्वासी प्रवृति के लोग दीपावली पर उल्लू का पूजन करके उसकी बलि देते हैं, जिसकी वजह से उल्लुओं को बहेलिए पकड़ कर उसकी मुंह मांगी कीमत खरीददार से वसूलते हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले सामने भी आए थे, जिसके बाद से फॉरेस्ट महकमा दिवाली पर्व से पहले चौकसी बरतने लगता है।
उत्तराखंड वन विभाग ने इस जंगली परिंदे की रक्षा और संरक्षण के लिए अपने कर्मचारियों की छुट्टियों को दिवाली के अगले दिन तक रद्द कर दिया है और ये निर्देशित किया है कि वो जंगल की बराबर निगरानी रखें। फॉरेस्ट विभाग के निगरानी दल जंगल के आसपास संदिग्ध लोगों के साथ पूछताछ करते देखे जा रहे हैं और जंगल की तरफ रुख कर रहे लोगों को अपनी सीमा से बाहर खदेड़ दे रहे हैं।
दीपावली पर विशेष सतर्कता
उत्तराखंड के वन्य जीव प्रतिपालक डॉ समीर सिन्हा का कहना है कि उल्लू संरक्षित वन्य जीव जंतु प्राणी की श्रेणी में आता है। दीपावली से एक हफ्ता पहले से हम सतर्कता बरत रहे हैं। वनकर्मियों की छुट्टियां स्थगित की गई हैं। दीपावली में हम उल्लुओं के साथ-साथ अन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति सजग हैं।
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