गुजरात के अमदाबाद में हुए दो दिवसीय साबरमती संवाद में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जब आम आदमी पार्टी की स्थापना हुई थी, तो बैकग्राउंड में पीछे दो लोगों की फोटो लगी थी, एक गांधी जी और दूसरी शास्त्री जी की। पार्टी की स्थापना के समय केजरीवाल ने वादा किया था कि जातिवाद खत्म करेंगे, क्षेत्रवाद खत्म करेंगे, भाषावाद खत्म करेंगे, कट्टरवाद, मजहबी उन्माद खत्म करेंगे, नक्सलवाद खत्म करेंगे, माओवाद खत्म करेंगे, शराब बंदी करेंगे, आम आदमी पार्टी ने 2012 की शपथ में ये सारे वादे किए गए थे।
अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि चार से पांच साल तक गांधी जी, शास्त्री जी की तस्वीर बैकग्राउंड में लगी रही, इस दौरान केजरीवाल भी सफेद शर्ट पहने दिखते थे, लेकिन पांच साल में जब उन्होंने मोटा माल कमा लिया तो उन्होंने बैकग्राउंड से दोनों फोटो को हटा दिया, क्योंकि गांधी जी , शास्त्री जी दोनों ईमानदारी के प्रतीक हैं। तो केजरीवाल ने सोचा कि अब दोनों का काम हो गया है, अब दोनों की तस्वीर बैकग्राउंड से हटा दी जाए। इसलिए केजरीवाल ने गांधी जी और शास्त्री जी की तस्वीर हटा दी।
अब केजरीवाल को लगने लगा कि गांधी जी, शास्त्री जी वाला काम हो गया, मोटा माल आ गया, कई विधायक जेल चले गए हैं, कई सारे बेनामी सम्पत्ति में हैं, काले धन में हैं, तो केजरीवाल ने सोचा कि अब ये सब चलेगा नहीं, तो अब दूसरा मॉडल ले आए हैं।
उन्होंने कहा आप संविधान सभा की डिबेट देखिए, तो उसमें सबसे पहले बाबा साहब ने कहा था, दलितों का उत्थान करना है, तो शराब बंदी करनी पड़ेगी इसीलिए संविधान का आर्टिकल 47 कहता है, कि शराब बंदी होनी चाहिए, ये बाबा साहब के कहने से संविधान में आया था। और केजरीवाल ने दिल्ली के 50 वार्ड जहां एक भी शराब की दुकान नहीं थी। दिल्ली के 280 वार्ड में से 50 वार्ड में एक भी शराब की दुकान नहीं थी, वहां पर डेढ़ सौ दुकान उन 50 वार्ड में खोलने का ठेका दे दिया।
उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि अब बताइए, बैकग्राउंड में लगी अंबेडकर जी और भगत सिंह जी की फोटो लगी है, जो दोनों ही शराब के विरोधी थे, उन्होंने पाखंड का एक और उदाहरण देते हुए कहा कि केजरीवाल दिल्ली में हर दो महीने में एक विशेष सत्र बुलाते हैं, उस विशेष सत्र को मैं निंदा सत्र करता हूं। क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री निंदा विशेष सत्र बुलाते हैं।उस सत्र में दिनभर पीएम मोदी, अमित शाह, संघ के लोगों के खिलाफ ऊल-जलूल बातें होती हैं।
उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आप लोग बताइए तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया। कभी जमाखोरी के खिलाफ विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया, कभी दिल्ली की विधानसभा में घूसखोरी पर चर्चा क्यों नहीं हुई, जमाखोरी पर चर्चा क्यों नहीं हुई, कभी मिलावट खोरी पर चर्चा नहीं हुई, कभी कालाबाजारी पर चर्चा नहीं हुई, कभी अलगाववाद पर चर्चा क्यों नहीं हुई, कभी नक्सलवाद पर चर्चा क्यों नहीं हुई, कभी माओवाद पर चर्चा क्यों नहीं हुई। देश की एकता अखंडता कैसे मजबूत करें इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं हुई।
उन्होंने कहा उसी से आगे का एक और पाखंड बताता हूं, दिल्ली का स्कूल वर्ल्ड क्लास है, दिल्ली में तकरीबन 67 या 68 विधायक आम आदमी पार्टी के हैं, लेकिन किसी भी विधायक का बच्चा सरकारी स्कूल में नहीं क्यों नहीं पढ़ता है। केजरीवाल का कहना है, कि दिल्ली के स्कूलों का प्रचार लंदन के अखबारों में होता है, लेकिन हमारे यहां कोई चर्चा क्यों नहीं होती। अगर सरकारी स्कूल वर्ल्ड क्लास स्कूल है, तो आप विधायकों के बच्चे क्यों नहीं जा रहे । शिक्षा मंत्री, मनीष सिसोदिया के बच्चे भी सरकारी स्कूल में क्यों नहीं पढ़ते।
उन्होंने कहा कि यह सारी जानकारी मुझे आरटीआई से मिली है। दूसरा उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली का मोहल्ला क्लीनिक वर्ल्ड क्लास है, जिसकी न्यूयॉर्क टाइम्स में भी खबर छपती है, लेकिन आप मुझे यह बताओ कि किस विधायक का परिवार दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक में जाकर अपने परिवार का इलाज करवाता है। आप विधायक को छोड़ो मुख्यमंत्री ने भी कभी अपने परिवार या अपने बच्चों का इलाज मोहल्ला क्लीनिक में करवाया है क्या?
उन्होंने कहा कि केजरीवाल की ये झूठ और पाखंड की जो राजनीति है, इसने आंदोलन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। मुझे नहीं लगता, इस व्यक्ति के कारण आने वाले समय में कोई आंदोलन होगा और उस पर कोई विश्वास करेगा, अगर कोई आंदोलन करेगा तो लोग कहेंगे यह भी केजरीवाल ही निकलेगा। आज के समय में पाखंड का कोई पर्यायवाची है, तो वो अरविंद केजरीवाल है, उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कह रहा हूं, ऐसा मैं आंकड़े के आधार पर कह रहा हूं।
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