विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चम्पत राय ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का नहीं, बल्कि राष्ट्र का मंदिर है। उन्होंने बताया कि जिन हुतात्माओं ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी है, उनकी एक स्मारिका स्थापित की जाएगी।
श्री राय कर्णावती में पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि के संघर्ष के 500 वर्षों के इतिहास को बताते हुए श्री राय ने कहा कि इस संघर्ष में बहुत से लोगों का योगदान रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।
श्री हितेश शंकर के यह पूछने पर कि कारसेवकों के बलिदान को निर्माणाधीन राममंदिर में कैसे शामिल करेंगे, श्री राय ने कहा कि प्राणों की आहुति देना हिंदुस्तान की परंपरा रही है। जिस तरह देश की रक्षा के लिए सेना के जवान सीमा पर प्राण न्यौछावर करते हैं, उसी तरह धर्म की रक्षा के लिए कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी। जिस तरह कई स्थानों पर बलिदानी सैनिकों की स्मारिका बनी है, कारसेवकों के स्मरण स्वरूप भी कुछ न कुछ अवश्य होगा।
श्री शंकर ने पूछा कि कुछ लोगों कहते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा अब पुराना हो गया है, जनता में इसके प्रति पुराना उत्साह नहीं रहा, जुड़ाव नहीं, आलोड़न नहीं रहा। आपको कैसा लगता है? इस पर श्री राय ने कहा कि इसके विपरीत जागरण उत्तरोत्तर बढ़ता गया है। कारसेवा के बाद समाज को अपना जागरण उजागर करने का अवसर नहीं मिला तो कुछ लोगों को लग सकता है कि वह
उत्साह नहीं रहा। देश में भी संभ्रम, अंधेरा, अविश्वास पैदा हो रहा था। परंतु इस दौर में भी वकीलों की टोली इस बात के लिए सदैव उत्साहित रही कि न्यायालय उस स्थान को जन्मभूमि मानेगा। न्यायालय का निर्णय आने के बाद मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण कार्यक्रम ने समाज को राम मंदिर के प्रति अपना जुड़ाव, उत्साह दिखाने का अवसर प्रदान किया। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भिखारियों और मजदूरों तक ने राम मंदिर के लिए निधि समर्पण किया। देशभर में 5 लाख गांवों, मोहल्लों, कॉलोनियों ने, कुल मिलाकर लगभग 10 करोड़ से अधिक लोगों ने योगदान किया। यह आंकड़ा बताता है कि जनता में कितना उत्साह रहा। लोगों को यह नहीं मालूम था कि मंदिर कब बनेगा, कैसा बनेगा, फिर भी योगदान दिया। यह व्यक्ति या व्यक्ति समूह का मंदिर नहीं, राष्ट्र का मंदिर है।
श्री शंकर के यह पूछने पर कि इस मंदिर की जीवन अवधि कितनी होगी। इस पर श्री राय ने बताया कि विहिप के नेता स्वर्गीय अशोक सिंहल कहा करते थे कि यह मंदिर 1000 वर्षों तक चलेगा। जब निर्माण की बात आई तो इंजीनियर एकत्र हुए। फिर यह पाया गया कि क्रंक्रीट जमीन के भीतर लगेगा और पत्थर जमीन के ऊपर लगेगा। इससे मंदिर की जीवनावधि 1000 वर्ष होगी। इसमें चुनौती यह है कि मंदिर की पश्चिम दिशा में सरयू का प्रवाह है। अति वर्षा वगैरह से क्षति की आशंका हो सकती है। कटाव पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। इसकी व्यवस्था की जा रही है।
श्री शंकर ने पूछा कि श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि कैसी है, बढ़ती भीड़ के प्रबंधन कैसे होगा? राष्ट्र मंदिर का व्याप वैश्विक कैसे होगा? श्री राय ने बताया कि 1986 से यहीं जीवन बीता। मंदिर में भक्तों की संख्या 20 साल पहले मामूली थी। आज बिना किसी त्योहार के भी प्रतिदिन 20-25 हजार लोग आते हैं। एक जनवरी को हिंदुओं का कोई त्योहार नहीं होता, फिर भी 1 जनवरी, 2021 और 2022 को एक लाख से अधिक नौजवान दर्शनार्थियों ने यहां दर्शन किए। आगामी समय में गैरत्योहारी दिनों में 50 हजार श्रद्धालुओं और त्योहार के दिनों में प्रतिदिन 2 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। उस भीड़ का प्रबंधन कैसे होगा, दर्शन की व्यवस्था क्या होगी, श्रद्धालुओं की सुरक्षा कैसे होगी, इन बातों पर विचार हो रहा है।
श्री राय ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण से इस क्षेत्र की आर्थिकी बदल जाएगी। श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि के अनुमान से रेलवे का विस्तार किया जा रहा है। अभी दोहरी लाइन है। उसे बढ़ाया जाएगा। नया प्लेटफॉर्म और स्टेशन की इमारत का निर्माण हो रहा है। अनुमान है कि आगामी दिनों मे यहां 5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। यहां सभी राज्यों के प्रतिनिधि अपने राज्यों की श्रद्धालुओँ की मदद के लिए होंगे। इस मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने से हिंदू समाज में आत्मविश्वास बढ़ा है, भारत का मस्तक ऊंचा हुआ है।
टिप्पणियाँ