पाकिस्तान में अस्पताल की छत पर सैकड़ों सड़े-गले शवों के मिलने से हंगामा मचा हुआ है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर सरकार की लानत-मलामत की जा रही है। सरकार ने आनन-फानन इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं तो अस्पताल अपने स्तर पर मामले को रफा-दफा करने की कोशिशों में जुटा है। इन तमाम उठा-पटक के बीच कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। मसलन, ये शव किसके हैं? इन्हें इस तरह खुले में चील-कौओं के खाने के लिए क्यों छोड़ दिया गया? कहीं ये बलूचिस्तान से जबरन गायब कर दिए गए लोगों की लाशें तो नहीं!
पंजाब के मुल्तान के निश्तर अस्पताल की छत पर करीब पांच सौ लोगों की सड़ी-गली लाशें मिली हैं। इससे लोगों में उबाल है और सोशल मीडिया पर सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई जा रही है। लोग तरह-तरह की बाते कर रहे हैं। कोई पूरे पाकिस्तान के हालात को बदतर बताते हुए सरकार को कोस रहा है तो कोई इसे सख्तदिल फौज की करतूत बता रहा है। इस बीच निश्तर मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मरयम अशरफ ने अस्पताल प्रशासन को बेदाग बताते हुए सफाई दी कि “ इन शवों का इस्तेमाल चिकित्सीय परीक्षण के लिए किया जा रहा था और यह सब सरकारी नियम-कायदे के हिसाब से ही हो रहा था।”
बलूचों की हैं लाशें
लेकिन इसी सफाई के दौरान अशरफ ने यह भी कहा कि “ये ऐसे अज्ञात शव हैं जिनपर किसी ने दावा नहीं किया और ये अस्पताल को पुलिस विभाग की ओर से सौंपे गए।” यहीं से जो पहला सवाल उठता है, वह यह कि पुलिस विभाग के पास इतने शव कहां से और कैसे आए? बलूचिस्तान की आजादी को बहाल करने के लिए आंदोलन कर रहे बलूचिस्तान नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के प्रवक्ता काजी रेहान ने कहा, “ हमारा पूरा अंदाजा है कि ये शव बलूचों के हैं। देखिए, सलवार तो सभी पहनते हैं… हिन्दुस्तान, पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक। लेकिन हर इलाके के लोगों की सलवारें अलग होती हैं। मुल्तान के अस्पताल की छत पर मिली लाशों को देखने से साफ है कि उन लोगों ने बड़ी घेरेदार सलवारें पहन रखी थीं। ऐसी सलवारें बलूच ही पहनते हैं। यह सबसे बड़ा इशारा है कि वहां रखी गई लाशें बलूचों की हैं। ये लाशें वहां सिक्योरिटी फोर्सेज ने कहां से लाईं, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।” गौरतलब है कि बलूचिस्तान में बड़ी तादाद में लोग आए दिन गायब होते रहे हैं और कई सामूहिक कब्रें मिल चुकी हैं जिनके कारण अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह मामला चर्चा में रहा। लेकिन किसी अस्पताल की छत पर इस तरह करीब 500 शवों के मिलने का यह अपने तरह का पहला मामला है। मेडिकल यूनिवर्सिटी के ही एक छात्र ने बताया कि, “ इंसानों के शरीर पर टेस्ट तो होते हैं, लेकिन बाद में इन्हें दफन कर दिया जाता है। शवों को इस तरह खुले में छोड़ देना सरासर गलत है।”
एक माह पुराना मामला
मुल्तान के सरकारी अस्पताल की छत पर शवों के ढेर मिलने के इस मामले का एक राजनीतिक पक्ष भी है। इन दिनों पंजाब सरकार में खींचतान चल रही है और इसी चक्कर में यह मामला बाहर आ गया। करीब एक माह पहले एक व्यक्ति ने किसी तरह अस्पताल की छत पर सड़ती लाशों को देखा और उसने इसकी जानकारी कुछ राजनीतिक रसूख रखने वालों को दी। उसके बाद हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री के सलाहकार चौधरी जमान गुज्जर ने खुद जाकर अस्पताल की छत पर सड़ती लाशों को देखा। उसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही ने मामले पर जांच बैठाई। यहां एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर क्या बात थी कि एक माह से यह मामला सियासी गलियारों में घूमता रहा, लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की और आखिर क्या हुआ कि अचानक मुख्यमंत्री के सलाहकार अस्पताल पहुंच जाते हैं। यहां एक और बात ध्यान देने की है। मुख्यधारा का मीडिया तब ही सक्रिय होता है जब बात सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है। बीएनएम प्रवक्ता कहते हैं, “इसमें दो राय नहीं कि इस पूरे मामले का एक सियासी नजरिया भी है। उनकी आपस की अनबन की वजह से ही यह मामला सामने भी आ सका। वर्ना जब बात बलूचों के साथ इंसाफ की होती है, तो सभी उसके खिलाफ खड़े हो जाते रहे हैं। खास तौर पर पंजाबियों ने बलूचों पर जो ज्यादती की है, उसकी मिसाल शायद ही कहीं मिल सके।”
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि इस मामले का खुलासा किसी बलोच ने नहीं, बल्कि एक पंजाबी ने किया है। जिस दिन मुख्यमंत्री के सलाहकार ने अस्पताल का दौरा किया, उस दिन भी अस्पताल की मोर्चरी की छत पर सैकड़ों लाशें थीं, लेकिन सड़ी-गली इन लाशों की संख्या पहले से कम थी। इसका साफ मतलब है कि जब मामले का खुलासा हुआ, उसके बाद से छत से लाशों के एक हिस्से को ‘ठिकाने’ लगा दिया गया। क्वेटा के एक बलूच छात्र कहते हैं, “ ऐसा लगता है कि मुल्तान के अस्पताल का लाशों के एक फौरी ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था और एक समय के बाद उन्हें वहां से हटाकर कहीं दफन कर दिया जाता होगा।” जो भी हो, अस्पताल की छत पर इस तरह लाशों के ढेर मिलने से एक बार फिर पाकिस्तान की बदनाम सुरक्षा एजेंसियां सवालों के घेरे में हैं। लेकिन कितना सच सामने आ सकेगा, कहना मुश्किल है। काजी रेहान कहते भी हैं, “बलूचों के साथ मुद्दतों से ऐसा ही होता रहा है। फौज उनके साथ हैवानियत करती है और बात दबी रह जाती है। कभी-कभार आधा-अधूरा सच सामने आ जाता है। इसमें भी कितना सच सामने आ पाएगा, कहना मुश्किल है।”
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