दिल्ली दंगा : आईबी अफसर अंकित शर्मा का हत्यारोपी मूसा कुरैशी पकड़ा गया

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिल्ली दंगे के मामले में भगोड़ा घोषित किए गए आरोपी को पकड़ लिया है। आईबी अफसर अंकित शर्मा के हत्यारोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी पहचान मुंतजिम उर्फ मूसा कुरैशी के रूप में हुई है। उसे तेलंगाना के मीरपेट इलाके से दबोचा गया। उस पर दिल्ली पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

अंकित शर्मा 2017 में आईबी में भर्ती हुए थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर के रहने वाले थे। दिल्ली दंगों में दंगाइयों ने बहुत ही बेरहमी से उन्हें मारा था। उन पर पचास से अधिक बार चाकुओं से वार किया गया था। मूसा कुरैशी दंगा भड़काने वाली भीड़ में शामिल था। उसे जनवरी 2021 में भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। अब वह तेलंगाना में एक केमिस्ट की दुकान से पकड़ा गया। 10 अक्टूबर की शाम को उसे दबोचा गया। उसे पकड़ने के लिए स्पेशल सेल की टीम तेलंगाना में रुकी हुई थी और उस पर लगातार नजर रखी जा रही थी।

दिल्ली दंगे एक सुनियोजित साजिश का नतीजा थे

2020 में दिल्ली दंगे एक सुनियोजित साजिश का नतीजा थे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी पाञ्चजन्य की इस पड़ताल पर मुहर लगाई। अदालत ने कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था को ध्वस्त करने की यह पूर्व नियोजित साजिश थी। ये घटनाएं (हिंदुओं का कत्लेआम और संपत्ति को नुकसान) किसी क्षणिक आवेश में नहीं हुई। अदालत ने इसी तथ्य के आलोक में हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या और एक आईपीएस अधिकारी पर जानलेवा हमले के आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया।

23 फरवरी, 2020 को दिल्ली में दंगे भड़के थे। पाञ्चजन्य ने उस समय दंगों की लाइव कवरेज करते हुए इस बात का खुलासा किया था कि दंगे सुनियोजित थे। इसकी पहले से तैयारी की गई थी। उत्तर पूर्वी दिल्ली में खासतौर पर हिंदुओं की जान-माल को संगठित तरीके से निशाना बनाया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यामूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद के समक्ष हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले में गिरफ्तार मोहम्मद इब्राहिम की जमानत याचिका आई। न्यायमूर्ति प्रसाद ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कई गंभीर टिप्पणियां की। अदालत ने कहा कि घटनास्थल के आस-पास के इलाकों में सीसीटीवी कैमरों को सुनियोजित तरीके से नष्ट कर दिया गया। राष्ट्रीय राजधानी में जो घटनाएं हुईं, वह क्षणिक आवेग का नतीजा नहीं थीं। शहर की कानून-व्यवस्था को ध्वस्त करने की पूर्व नियोजित साजिश थी। अभियोजन ने अदालत के समक्ष हिंसा की वीडियो फुटेज को रिकॉर्ड पर रखा है। अदालत का कहना था कि वीडियो से साफ नजर आता है कि यह कानून-व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश थी. साथ ही साजिशन सामान्य जीवन को बाधा पहुंचाने का प्रयास किया गया था।

दंगे की साजिशन हुए इसका सबसे बड़ा सुबूत तो यही है कि उस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की यात्रा पर थे। पूरी दुनिया का ध्यान भारत पर था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की लगातार मजबूत होती छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए ये दंगे अंजाम दिए गए थे। दिल्ली पुलिस ने दंगों से जुड़ी कुल 751 एफ़आईआर दर्ज कीं।

दंगे के खलनायक

—ख़ालिद सैफ़ी- यूनाइटेड अगेंस्ट हेट

—इशरत जहां- पूर्व कांग्रेस पार्षद

—सफ़ूरा ज़रगर-एमफ़िल छात्रा, जामिया

—मीरान हैदर- पीएचडी छात्र, जामिया

—गुलफ़िशां फ़ातिमा- एमबीए छात्र, गाज़ियाबाद

—शादाब अहमद- जामिया छात्र

—शिफ़ा-उर-रहमान- जमिया एल्युमिनाई

—नताशा नरवाल- जेएनयू छात्र,’पिंजरा तोड़’ की सदस्य

—देवांगना कलिता- जेएनयू छात्र, ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य

—आसिफ़ इक़बाल तन्हा- जामिया छात्र

—उमर ख़ालिद-पूर्व जेएनयू छात्र

—शरजील इमाम-जेएनयू छात्र

—ताहिर हुसैन- पूर्व ‘आप’ पार्षद

 

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