‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के भारत की आर्थिक विकास दर में कटौती के अनुमान के बावजूद उसकी स्थिति बेहतर रहेगी।’ यह कहना है आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग के डायरेक्टर कृष्णा श्रीनिवासन का। आईएमएफ के इस अधिकारी का कहना है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में हालात बेहतर रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज हर किसी देश की आर्थिक विकास के मामले में धीमी गति हो रही है, लेकिन भारत पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय संस्था के इस अधिकारी ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत बेहतर स्थान पर है।
कृष्णा श्रीनिवासन ने एक साक्षात्कार में कहा है कि अभी वैश्विक स्थिति बड़ी समस्या है। महंगाई भले ही बढ़ रही हो पर दुनिया के कई हिस्सों में विकास की गति धीमी हो रही है। उनका यह बयान ऐसे वक्त आया है जब आईएमएफ ने वर्ष 2022 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले जुलाई में भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। आईएमएफ के अधिकारी ने कहा कि इस साल या अगले साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जिम्मेदार कई देश मंदी की चपेट में आ जाएंगे। तेजी से बढ़ रही महंगाई और व्यापक हो सकती है।
श्रीनिवासन ने दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इन देशों में स्थिति बिगड़ती रहेगी। उल्लेखनीय है कि आईएमएफ ने कहा है कि 2022-23 में भारत में मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारत में मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.1 फीसद तक कम हो सकती है। हालांकि विकास पूर्वानुमान में गिरावट के बावजूद, भारत 2022 और 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। चीन की वृद्धि 2022 में 3.2 और 2023 में 4.4 फीसद तक धीमी होने का अनुमान है।
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष चेतावनी दे चुका है कि दुनियाभर में मंदी का जोखिम बढ़ रहा है और वह एक बार फिर 2023 के लिए वैश्विक आर्थिक विकास के अपने अनुमान को कम कर रहा है। 2026 तक वैश्विक आर्थिक विकास में 4 ट्रिलियन अमेरिकी डालर तक की कमी आ सकती है।
टिप्पणियाँ