यूपी एटीएस द्वारा दो दिन पहले जिन आठ संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें से दो उत्तराखंड के हरिद्वार जिले से पकड़े गए। उत्तराखंड एसटीएफ का दावा है कि ये गिरफ्तारी उनकी मदद से की गई। लेकिन एक सवाल भी उठा कि इतने समय से उत्तराखंड की तीर्थ नगरी के पास आतंकी गतिविधि होती रही और जिले का खुफिया विभाग सोया रहा।
उल्लेखनीय है कि पिछले 6 महीनों से उत्तराखंड पुलिस बाहरी लोगों के सत्यापन करने के अभियान को चलाए हुए थी इसके बावजूद ये आतंकी पकड़ में नहीं आए। हरिद्वार और यूपी के लगते क्षेत्रों में संदिग्ध लोगों की अपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। पिछले महीनों में यहां से हिरोइन तस्करी के मामले भी सामने आए थे, ताजी घटना एटीएस यूपी द्वारा आठ लोगों को पकड़ा गया है, जोकि टेरर फंडिंग के जरिए राष्ट्र विरोधी घटनाओं में लिप्त रहे हैं। पुलिस सूत्र बताते हैं कि इनमें से कालिम मुदस्सिर हरिद्वार जिले से पकड़ा गया, जो यहां दिखावे के नाम पर परचून की दुकान चला रहा था। दरअसल वो एक मदरसे में बच्चो को पढ़ाने के लिए भी जाता था और यहीं से वो अपनी गतिविधियों का संचालन कर रहा था। इसके यहां अब्दुल तल्हा नाम का युवक भी आकर रहता था, जो मूलतः बांग्लादेशी है।
ये सभी गजवा-ए-हिंद नाम से संगठन के सदस्य हैं, इनको एक अन्य बांग्लादेशी अलीनूर के जरिए फंडिंग होती रही है। ये सभी आतंकी यूपी और उत्तराखंड में अपने साथ मुस्लिम युवाओं को भर्ती कर उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करने के अभियान में लगे हुए थे। एटीएस ने इनके आलावा शामली के रहने वाले बम एक्सपर्ट शहजाद, देवबंद के मोहम्मद अलीम, अली अहसन, लुकमान, कारी मुख्तार को पकड़ा है। साथ ही झारखंड के नवाजिश को भी गिरफ्तार किया है। लुकमान भी मदरसा संचालित करता है। मुख्तार कारी भी मदरसा आइनल उलूम चलाता है, यहां से भी आपत्तिजनक पत्रक और लैपटॉप पेनड्राइव बरामद की गई है। एटीएस ने पुख्ता साक्ष्य जुटाने के बाद ही इन्हें गिरफ्तार किया है।
उल्लेखनीय है कि इनकी गतिविधियों की खबर न तो शामली न सहारनपुर और न ही हरिद्वार पुलिस के पास थी। एटीएस ने एक साथ सभी स्थानों पर छापेमारी करके इनको गिरफ्तार किया। दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड पुलिस ने सीमावर्ती जिलों में बाहरी लोगों के सत्यापन के लिए एक अभियान शुरू किया था, बावजूद इसके यहां बांग्लादेशी छिपे रहे और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे। जो कि राज्य पुलिस के सत्यापन अभियान पर भी सवाल खड़े करता है।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि एटीएस यूपी को उत्तराखंड की एसटीएफ ने सहयोग किया, तभी ये आतंकी पकड़े गए हैं। उन्होंने कहा इस बारे में ज्यादा जानकरी एटीएस ही दे पाएगी।
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