दिल्ली सेवा भारती द्वारा आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल ले- जन- (से-नि-) गुरमीत सिंह ने कहा कि संत, सेवक, सैनिक और सिख का कार्य एक जैसा है। समारोह में उन्होंने 25 समाजसेवियों को किया सम्मानित
अपने जीवनभर की कमाई को निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा के लिए अर्पित करने वाले दानवीरों को सम्मानित करने के लिए नई दिल्ली स्थित डॉ- आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें समाज में उल्लेखनीय कार्य हेतु रतन टाटा एवं चलासनी बाबू राजेंद्र प्रसाद को संयुक्त रूप से ‘सेवा रत्न’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उत्तराखंड के राज्यपाल ले- जन- (से-नि-) गुरमीत सिंह द्वारा दिया गया। समारोह की अध्यक्षता सहारनपुर के संत प्रद्युम्न ने की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जनरल (सेनि) वी-के- सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री पराग अभ्यंकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली के संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा और सेवा भारती दिल्ली के अध्यक्ष श्री रमेश अग्रवाल भी मंच पर विराजमान थे।
रतन टाटा और चलसानी बाबू राजेंद्र प्रसाद के अलावा अमूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर-एस-सोढ़ी, समाजसेवी मधुसूदन अग्रवाल, कृष्ण कुमार अग्रवाल, राजेन्द्र सिंहल, सीबीआर प्रसाद, समता फाउंडेशन (मुंबई), अजंता फार्मा, श्याम सुंदर अग्रवाल (मिल्क फूड्स), यामिनी जयपुरिया (कॉस्मो ग्रुप), अशोक अग्रवाल (ग्लोब कैपिटल), रोशनी नादर, रघुपति सिंघानिया (जेके ग्रुप)आदि को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर ले- जन- (से-नि-) गुरमीत सिंह ने कहा कि सेवा कार्य मानवता के लिए सबसे बड़ा कार्य है। जिन्हें सेवा करने का अवसर मिलता है, मानो उन पर भगवान की बड़ी कृपा है। उन्होंने यह भी कहा कि आज जो लोग सम्मानित हुए हैं, वे प्रभु के रूप हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संत, सेवक, सैनिक और सिख सब एक हैं।
श्री पराग अभ्यंकर ने कहा कि भारतीयता हमें सेवा और संस्कार की प्रेरणा देती है। सेवा करने से समाज में बदलाव आता है। सेवा मानव के जीवन का निर्माण करती है और अहंकार को तोड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों ने सकारात्मक बदलाव लाया और एक नई राह दिखाई है। जनरल बी-के- सिंह ने कहा कि सनातन संस्कृति सेवा के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने सेवा भारती की तारीफ करते हुए कहा कि सेवा भारती के कार्य अतुलनीय हैं।
संत प्रद्युम्न ने कहा कि जाति-पाति से ऊपर उठकर सेवा कार्य करने से ही भारत सही मायने में भारत बन सकता है। उन्होंने जातिवाद को एक रोग बताते हुए कहा कि इसका निदान होना ही चाहिए। रमेश अग्रवाल ने कहा कि भारत की धरा में महर्षि दधीचि, राजा बलि, दानवीर कर्ण व भामाशाह समेत अनेक कोपलें फूटीं, जिन्होंने राष्ट्र सेवा के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। भारतवर्ष में आज भी उस परंपरा का अनुसरण हो रहा है, जिसके आधार पर लाखों वंचितों व उपेक्षितों तक विभिन्न माध्यमों से सहायता और सहयोग पहुंच रहा है। कार्यक्रम में सेवा भारती के विभिन्न प्रकल्पों से लाभान्वित लोगों ने अपने अनुभव सुनाए और सेवा भारती के प्रति आभार व्यक्त किया।
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