पंजाब में जहां कन्वर्जन जैसी बुराई जोरों पर है, वहीं पंचायतें अब इसके खिलाफ जागरुक होने लगी हैं। जालंधर जिले के गांव डल्ला की पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया है कि भविष्य में न तो पंचायत की अनुमति के बिना कोई धार्मिक कार्यक्रम होगा और न ही कोई घर-घर जा कर पंथ या मजहब का प्रचार कर सकेगा।
कन्वर्जन की दृष्टि से जालंधर जिला राज्य के सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में से है। कुछ दिन पहले गांव में मिशनरी के लोग आए थे और उन्होंने घर-घर जाकर बाइबिल बांटी व मत का प्रचार किया। अब इन लोगों के लिए समारोह आयोजित किया जाना था परन्तु गांव की सरपंच हरदीप कौर सैनी ने इस पर रोक लगा दी है। पंचायत सदस्य राजविन्दर कौर, गुरजीत सिंह, उर्मिला देवी, अमरजीत सिंह, सरबजीत सिंह ने भी कहा कि लोगों को मत के नाम पर गुमराह नहीं होने दिया जा सकता।
पंचायत ने कहा कि इससे न केवल पंथ के नाम पर चल रहा इस तरह का काम बंद होगा बल्कि अपराधी तत्वों की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी क्योंकि धर्म प्रचार के नाम पर घरों में आने वाले अज्ञात लोग किसी भी समय परिवारों की सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त पंचायत ने सभी जातियों के लिए एक ही श्मशानघाट में अन्तिम संस्कार करने को कहा है। पंचायत ने यह भी निर्णय लिया है कि गांव में विभिन्न स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकर का न केवल समय निश्चित किया जाए बल्कि उन्हें सर्किल बना बारी-बारी से बजाया जाए ताकि न तो गांव में ध्वनि प्रदूषण फैले और बच्चों की पढ़ाई पर इसका बुरा असर न हो। गांव में घर-घर जाकर सामान बेचने आने वाले विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों पर भी रोक लगाई है।
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