पिछले कुछ समय से अपने जहरीले प्रचार के कारण विवादों में रहे ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से कार्रवाई की गई है। अमृतपाल का ट्विटर अकाउंट केंद्र सरकार ने बंदा करा दिया है। ट्विटर पर अमृतपाल सिंह के करीब 11 हजार फॉलोअर्स हैं। वारिस पंजाब दे संगठन वह है, जिसकी नींव किसान आन्दोलन के दौरान हिंसा के मामले के आरोपी अन्य कट्टरपन्थी नेता दीप सिद्धू ने रखी थी। विगत दिनों ही अमृतपाल को इस संगठन का मुखी बनाया गया है और इसके जहरीले बोल राज्य के सामाजिक वातावरण को बुरी तरह दूषित कर रहे हैं।
पांचजन्य की ओर से भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था। इस संबंध में पीएफआई की तर्ज पर काम कर रहा ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की गई थी।
खालिस्तानी आतंकवाद के बाबा आदम जरनैल सिंह भिण्डरांवाले के मोगा जिले स्थित पैतृक गांव रोडे में 29 सितम्बर को आयोजित दस्तारबन्दी समारोह में संगठन के नए प्रमुख अमृतपाल सिंह ने सिख युवाओं का पथभ्रष्ट करने का प्रयास किया और खालिस्तान के समर्थन में संघर्ष तेज करने की बात कही।
अमृतपाल ने पंजाब में दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के बारे में भी अभद्र शब्दावली का प्रयोग किया और इन श्रमिकों को लेकर कई तरह के दुष्प्रचार किए। अमृतपाल ने सिखों को भडक़ाने के लिए उन्हें गुलाम बताया और आजादी के लिए संघर्ष की बात कही और इसके लिए आतंकवादी जरनैल सिंह भिण्डरांवाले के रास्ते को सही बताया।
वारिस पंजाब दे संगठन किसान आन्दोलन के दौरान हुए लाल किला उपद्रव के आरोपी दीप सिद्धू द्वारा बनाया गया संगठन है जिसके भारी संख्या में नौजवान सदस्य हैं। दीप सिद्धू की कुछ समय पहले हरियाणा में सडक़ दुर्घटना में मौत हो गई थी। उसके भोग समारोह में हजारों की संख्या में हथियारबन्द लोग जुटे थे और उन्होंने समारोह स्थल पर आते जाते हुए पूरे प्रदेश में देशविरोधी नारेबाजी की थी।
इन्हीं तत्वों ने केवल पंजाब ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में भी कई जगहों पर खालिस्तानी अभद्र नारे लिखे और विवादित झण्डे फहराए। इससे पंजाब का महौल पूरी तरह दूषित हो गया। अभी हाल ही में कनाडा में सिख्स फार जस्टिस के नेतृत्व में कट्टरपन्थियों ने खालिस्तान के पक्ष में मतदान किया था।
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