ब्रिटेन में ‘हिन्दूफोबिया’ के नाम पर हिन्दुओं को निशाना बनाने की घटनाओं ने दुनिया भर में जिहादी मानसिकता के विरुद्ध एक माहौल बनाया है। गत माह ब्रिटेन के उपनगर लीसेस्टर में एक मंदिर पर चढ़ आए मजहबी जिहादी तत्वों ने हिन्दू समाज के विरुद्ध मोर्चा खोला था। यह नफरत भारत—पाकिस्तान क्रिकेट मैच में पाकिस्तान की हार के बाद उग्र रूप में सामने आई थी और वहां हिन्दुओं के घरों- प्रतिष्ठानों को वहां बसे मजहबी उन्मादियों ने निशाना बनाया था। लेकिन अब ब्रिटेन में सभ्य समाज के लोग जिहादी तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे हिन्दूफोबिया की असलियत को समझकर उसके विरुद्ध लामबंद हो रहे हैं।
अभी दो दिन पहले ब्रिटेन में लेबर पार्टी के वरिष्ठ नेता कीर स्टार्मर नवरात्र के उत्सव में सम्मिलित हुए थे। वहां एकत्र हिन्दू श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हुआ उन्होंने कहा कि यह वक्त नफरत को मिटाने के लिए ‘हिंदूफोबिया’ के विरुद्ध लड़ने का है।
लेबर नेता कीर स्टार्मर उस नवरात्र समारोह में शामिल हुए थे जो लंदन में होता है और यूरोप के सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि समारोहों में से एक माना जाता है। वहीं सैकड़ों ब्रिटिश भारतीयों के सामने उन्होंने संकल्प किया कि इस नफरत को मिटाएंगे।
लेबर पार्टी ब्रिटेन की वर्तमान विपक्षी पार्टी है। स्टार्मर इस पार्टी के एक बड़े और बेबाक नेता माने जाते हैं। नवरात्र समारोह में उन्होंने कहा कि हिंदूफोबिया से हमें लड़ना चाहिए। लेबर नेता ने कहा कि वह बांटने वाली राजनीति और समुदायों में आपसी नफरत पैदा करने वाले चरमपंथी तत्वों को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
वहीं यूके में कार्यरत प्रवासी भारतीय संगठनों का कहना है कि पिछले महीने लंदन के उपनगर लीसेस्टर में तुस्लिम तत्वों की जो हिन्दू विरोधी हिंसा दिखी, वह हिंदूफोबिया या हिंदुओं को लक्ष्य करके घृणा फैलाने की प्रवृत्ति को दिखाती है। उनका मानना था कि यह नफरत सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित की गई थी।
लेबर नेता स्टार्मर का आगे कहना था कि हिंदूफोबिया की हमारे समाज में कैसी भी कोई जगह नहीं है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि इससे मिलकर लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि वह इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि हिन्दुओं को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से नफरत से उपजे अपराधों में वृद्धि देखने में आई है।
स्टार्मर ने लीसेस्टर और बर्मिंघम में जिस तरह का विभाजनकारी हिंसा और नफरत का माहौल बनाया गया, उसकी कड़े शब्दों में निंदा भी की। उनका कहना था कि सोशल मीडिया के माध्यम से मजहबी चरमपंथियों ने हिंसा फैलाई, जिसे एकजुट होकर खत्म करना ही होगा।
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