मैंने सारा घटनाक्रम पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप्प संदेश आया था कि आपका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा क्योंकि आपने पूरे बिल का भुगतान नहीं किया है। एक फोन नंबर देकर कहा गया कि आप कनेक्शन बचाना चाहते हैं तो यहां कॉल करें।
अचानक एक दिन एक राष्ट्रीय अखबार में कार्यरत पत्रकार मित्र का फोन आया। उन्होंने घबराई आवाज में कहा कि किसी ने उनके बैंक खाते से रकम निकाल ली है और वह उनके टेलीफोन कॉल भी सुन रहा है। मैंने सारा घटनाक्रम पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप्प संदेश आया था कि आपका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा क्योंकि आपने पूरे बिल का भुगतान नहीं किया है। एक फोन नंबर देकर कहा गया कि आप कनेक्शन बचाना चाहते हैं तो यहां कॉल करें। पत्रकार मित्र ने तैश में आकर कॉल किया और कहा कि पिछले हफ्ते ही हमने बिल का भुगतान किया है।
दूसरी तरफ से कहा गया है कि आप एक मोबाइल एप्प डाउनलोड कीजिए ताकि उसके जरिए आपका रिकॉर्ड सही किया जा सके। पत्रकार मित्र ने वह एप्प इन्स्टॉल कर लिया, जो स्क्रीन शेयरिंग एप्प था। ऐसे एप्प अस्थायी रूप से आपके फोन का नियंत्रण किसी और के हाथ सौंप देने के लिए इस्तेमाल होते हैं। इसके इन्स्टॉल होने के बाद दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने कुछ और भी एप्प इन्स्टॉल किए और पत्रकार मित्र को खुशखबरी दी कि आपके अकाउंट में सब ठीक कर दिया गया है। लेकिन उसके तुरंत बाद उनके बैंक खाते से पैसे निकल गए और उनके कॉल भी सुने जाने शुरू हो गए। हुआ यह था कि दूसरे व्यक्ति ने फोन का नियंत्रण लेने के बाद मनचाहे एप्प इन्स्टॉल कर दिए। अब फोन पर मौजूद हर सूचना और हर गतिविधि पर उसकी नजर थी।
दरअसल मोबाइल फोन हैक किए जाने या एप्स के जरिए हैकिंग की ज्यादातर घटनाएं हमारी लापरवाही या अनभिज्ञता से होती हैं। व्हाट्सएप्प में संदेश आता है-नीली लाइन को क्लिक कीजिए, मैंने आपके लिए कुछ खास भेजा है। लोग उन्हें क्लिक कर देते हैं। कभी वह हानिरहित संदेश होता है तो कभी किसी हैकर का संदेश भी हो सकता है। याद रखिए, मोबाइल एप्स पर सुरक्षित रहने के लिए न तो आंख मूंदकर किसी लिंक को क्लिक करें, न कोई अनजान सामग्री डाउनलोड करें और न कोई एप्प आंख मूंदकर इन्स्टॉल करें। यह न्यूनतम बुनियादी सावधानी है। लेकिन साइबर सुरक्षा के तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद लोग ऐसा कर बैठते हैं और किसी खतरनाक एप्प की हरकत का शिकार हो जाते हैं।
एक व्यक्ति को पत्नी के प्रसव के लिए धन की आवश्यकता थी और उसने उधार प्रदाता मोबाइल एप्प से पांच हजार रुपये लिये। और अपने बैंक का ब्योरा साझा कर दिया। कुछ दिन बाद उसे फोन आया कि पांच हजार के बदले दस हजार रुपये देने होंगे। जब इस व्यक्ति ने ना-नुकूर की तो उधर से धमकी दी गई कि तुम्हारे फोन में कुछ आपत्तिजनक चित्र हैं जिन्हें तुम्हारे सभी कॉन्टेक्ट्स को भेज दिया जाएगा। डर के मारे इस व्यक्ति ने 7,350 रुपये का भुगतान कर दिया लेकिन एक महीने बाद उससे फिर दस हजार रुपये मांगे गए। यहां सिर्फ ब्लैकमेल ही नहीं हो रहा था बल्कि निर्दोष से लगने वाले एप्प ने इस शख्स का फोन हैक कर लिया था और उसकी सामग्री का इस्तेमाल कर रहा था। ऐसे मामलों में तुरंत साइबर क्राइम ब्रांच को सूचित करना चाहिए।
एप्स के जरिए हुई कुछ अन्य घटनाएं यहां उल्लेखनीय हैं। जैसे एक c ने लोगों का गोपनीय डेटा चुराने के लिए कट एंड पेस्ट की सुविधा का इस्तेमाल कर लिया। जब भी आप फोन में किसी भी टेक्स्ट को कॉपी या कट करते हैं तो यह एप्लीकेशन उस डेटा को चुराने में सक्षम है, जैसे- ओटीपी, पासवर्ड, आधार नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, बैंक खाता नंबर, किसी का फोन नंबर आदि-आदि। इसी तरह, 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया ‘फ्लैशलाइट’ नाम का एप्प लोगों की इजाजत के बिना विज्ञापनदाताओं को उनकी लोकेशन बेचता पाया गया है।
कुछ एप्स ऐसे होते हैं जो खुद तो आपकी इजाजत के बाद इन्स्टॉल होते हैं लेकिन उसके बाद दूसरे खतरनाक एप्स के लिए अपने आप इन्स्टॉल होने का रास्ता खोल देते हैं। एक मोबाइल एप्प आपके बैंक के टू-फैक्टर आथेन्टिकेशन (ओटीपी आदि) को नाकाम कर देता है। यानी बैंक अकाउंट में लॉगिन या लेनदेन करते समय कोई सुरक्षा नहीं। ऐसा ही एक एप्प आपके फोन का नियंत्रण स्क्रीन शेयरिंग सिस्टम के जरिए कहीं दूर से जुड़े इनसान को सौंप देता है जैसा कि पत्रकार मित्र के साथ हुआ था। लिहाजा अंधाधुंध एप्प डाउनलोड करने से पहले सोचिए कि क्या इस एप्प के बिना काम नहीं चलेगा?
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के
पद पर कार्यरत हैं)
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