विजयादशमी पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से श्री विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने दुनिया में बढ़ती भारत की लोकप्रियता और साख को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि अपने प्रिय भारत के बल में, शील में तथा जागतिक प्रतिष्ठा में वृद्धि का निरन्तर क्रम देखकर खुशी हो रही है। सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाली नीतियों का अनुसरण सरकार कर रही है। विश्व के राष्ट्रों में अब भारत का महत्व तथा विश्वसनीयता बढ़ गयी है । सुरक्षा क्षेत्र में हम अधिकाधिक स्वावलंबी होते चले जा रहे हैं। कोरोना की विपदा से निकल कर हमारी अर्थव्यवस्था पूर्व स्थिति प्राप्त कर रही है । आधुनिक भारत के आर्थिक, तकनीकी तथा सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे का वर्णन दिल्ली में कर्तव्य-पथ के उद्घाटन समारोह के समय प्रधानमंत्री जी से भी आपने सुना ही है। शासन की यह दिशा अभिनन्दन योग्य है। इस दिशा में हम सभी को मन-वचन-कर्म से एक होकर चलना होगा।
सरसंघचालक जी ने कहा कि आत्मनिर्भरता के पथ पर बढ़ने के लिए अपने राष्ट्र के आत्मस्वरूप को, शासन, प्रशासन व समाज स्पष्ट तथा समान रूप से समझता हो, यह अनिवार्य है। अपने-अपने स्थान व परिस्थिति में उसके आधार पर बढ़ते समय आवश्यकता पड़ने पर कुछ लचीलापन धारण करना पड़ता है। तब आपसी समझदारी तथा विश्वास मिलकर आगे बढ़ते हैं। विचार की स्पष्टता, समान दृष्टि तथा दृढ़ता, लचीलेपन की मर्यादा का भान प्रदान कर गलतियों से व भटकाव से बचाते हैं। शासन, प्रशासन, नेतागण तथा समाज इस प्रकार स्वार्थ व भेदभावों से परे होकर कर्तव्यपथ पर बढ़ते हैं, तब राष्ट्र प्रगति की दिशा में अग्रसर होता है। समाज को भी अपने कर्तव्यों का विचारपूर्वक निर्वहन करना चाहिए।
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