गुजरात में द्वारका जिला प्रशासन द्वारा एक अक्तूबर से बेट द्वारका में अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक यह अभियान चल रहा था। इसके अंतर्गत वहां बनीं अवैध मजारों, दुकानों और अन्य मजहबी स्थलों को हटाया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक वहां 21 अवैध निर्माणों को हटाया गया है। इस कार्य के लिए बेट द्वारका में कर्फ्यू लगाया गया है। इस दौरान केवल प्रशासनिक अधिकारियों और आपातकाल की सेवा में लगे लोगों को ही जाने दिया दिया जा रहा है।
बता दें कि गुजरात में ओखा बंदरगाह से लगभग सात समुद्री मील दूर है बेट द्वारका। यह स्थान द्वारका जिले में पड़ता है और पाकिस्तान से बिल्कुल नजदीक है। गुजराती में ‘बेट’ का अर्थ होता है द्वीप। यानी द्वारका द्वीप। इसे भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है और यहां द्वारकाधीश मंदिर है। कालांतर में इस जगह का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा गया है। अब जो जगह बची है, उसका क्षेत्रफल लगभग 13 किलोमीटर है।
अभी तक लोग इस द्वीप पर नाव के जरिए ही जाते हैं। चूंकि यह द्वीप है और यहां रहने वाले ज्यादातर मछुआरे हैं। मछुआरों में भी अधिकतर मुसलमान हैं। यही लोग नाव भी चलाते हैं। विश्व हिंदू परिषद के समरसता प्रमुख देवजी भाई रावत ने बताया, ‘‘इस द्वीप पर पहले मंदिर ही होते थे। उनकी देखरेख के लिए कुछ हिंदू रहते थे। बाद में नाव चलाने वाले भी वहां बसने लगे और ये लोग ज्यादातर मुसलमान हैं। इनके साथ नशे की तस्करी करने वाले भी वहां बसने लगे। इस तरह वहां मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि द्वारकाधीश मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में मुसलमान बस गए हैं। अब ये लोग वहां स्थाई रूप से बस गए हैं और मस्जिद और मजार के नाम पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाकर एक अच्छा संदेश दिया है।
अमदाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुरेश भट्ट कहते हैं, ‘‘द्वारकाधीश मंदिर के आसपास एक साजिश के तहत मुसलमानों को बसाया गया। इन लोगों ने द्वीप के अन्य स्थानों पर भी कब्जा कर मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान, दरगाह आदि बना लिए थे। काफी समय से हिंदू मांग कर रहे थे कि द्वीप पर हुए अवैध निर्माणों को तोड़ा जाए। इसको देखते हुए गुजरात सरकार ने एक अक्तूबर को बेट द्वारका में अतिक्रमण-मुक्त अभियान चलाया।’’
एक रिपोर्ट के अनुसार इस अभियान के अंतर्गत सरकारी जमीन पर बनी आलमशा पीर, हजरत दोलतशा पीर, कमरुद्दीनशा पीर, सिद्दि बाबा मजार, बालापीर मजार को तोड़ दिया गया है। इसके साथ ही सरकारी जमीन पर बने 15 व्यावसायिक स्थानों को भी तोड़ा गया है। स्थानीय प्रशासन ने 52,078 वर्ग फीट जमीन खाली कराने की योजना बनाई है। पुलिस अधीक्षक नितेश पांडे के अनुसार इस कार्य के लिए 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
सरकार के इस कदम का कई सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया है। विश्व हिंदू परिषद, सौराष्ट्र प्रांत के धर्माचार्य संपर्क संयोजक प्रवीण सिंह कंचवा कहते हैं, ‘‘बेट द्वारका को अतिक्रमण-मुक्त करना बहुत जरूरी था। इससे असामाजिक तत्वों का हौसला कम होगा।’’ उन्होंने यह भी कहा कि बेट द्वारका में आतंकवादियों को शरण मिलती रही है। इसके साथ ही यहां से नशीले पदार्थों का कारोबार होता है। सरकार की इस कार्रवाई से यह द्वीप सुरक्षित होगा।
इस द्वीप की सुरक्षा और सामरिक महत्व को देखते हुए गुजरात सरकार ओखा से इस द्वीप तक जाने-आने के लिए समुद्र के ऊपर लगभग चार किलोमीटर का पुल बनवा रही है। हालांकि स्थानीय मुसलमान इस पुल के निर्माण का विरोध करते रहे, लेकिन उनकी एक नहीं चली।
प्रवीण सिंह कंचवा ने यह भी बताया कि पुल के बनने से बेट द्वारका तक बाहर के लोग भी आसानी से आ-जा सकते हैं। इससे वहां का वातावरण भी बदलेगा। चूंकि यह द्वीप हिंदू आस्था का केंद्र है। पुल बनने से यहां हिंदू श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। इससे द्वीप की कई तरह की समस्याएं समाप्त होंगी और धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि इस समय भी नाव चलाने वाले प्रायः मुसलमान हैं। ये लोग हिंदू श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूलते हैं। ऊपर से कई बार हिंदुओं के साथ बदतमीजी भी करते हैं। पुल बनने से हिंदू श्रद्धालु अपनी गाड़ी से ही बेट द्वारका तक जा सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय बेट द्वारका में लगभग 15,000 मुसलमान और लगभग 500 हिंदू रहते हैं। यही कारण है कि इस द्वीप पर मुसलमान अपना दावा करने लगे हैं। 2021 में तो एक अजीब घटना सामने आई थी। गुजरात वक्फ बोर्ड ने गुजरात उच्च न्यायालय में एक अर्जी लगाकर कहा था कि बेट द्वारका के कुछ हिस्से वक्फ बोर्ड के हैं। उस समय उच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड से कहा था कि श्रीकृष्ण की नगरी वक्फ बोर्ड की कैसे हो सकती है! इसके बाद न्यायालय ने उस अर्जी को खारिज कर दिया था।
यानी बेट द्वारका में भी वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने का प्रयास चल रहा है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि वहां अवैध मजारों और मस्जिद को तोड़ने से वक्फ बोर्ड की मनमानी बंद होगी और हिंदुओं का यह श्रद्धा केंद्र सुरक्षित होगा।
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