हाल के दिनों में ‘पाञ्चजन्य’ में दो ऐसी खबरें प्रकाशित हुई हैं, जिनका असर प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल रहा है। एक खबर थी पलामू जिले के उन हिंदू परिवारों की, जिन्हें मुसलमानों ने यह कहते हुए गांव से भगा दिया था कि जहां ये लोग रह रहे हैं वह मदरसा की जमीन है। दूसरी खबर थी एक हिंदू युवती की, जिसे उसके गांव के मुसलमानों ने एक वीडियो के लिए बुरी तरह पीटा था और कहा था कि गांव में रहना है तो मुसलमान बनना पड़ेगा।
इन दोनों खबरों को पढ़ने के बाद कुछ हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इन पीड़ित परिवारों की मदद करने का संकल्प लिया। हिंदू कार्यकर्ता सुमन सौरभ, पूनम साहू आदि और ‘क्रिएटली मीडिया’ नामक एक संगठन ने इनकी मदद के लिए पहल की।
सबसे पहले इन्होंने बड़कागांव के सिरमा गांव वाले मामले में 86,500 रुपए इकट्ठे किए और यह राशि पीड़ित परिवार को उसके गांव जाकर भेंट कर दी। इसके साथ ही इन कार्यकर्ताओं ने पीड़ित परिवार को यह भी भरोसा दिलाया गया कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए पूरा हिंदू समाज एकजुट है।
सुमन सौरभ ने बताया कि ‘पाञ्चजन्य’ में खबर पढ़ने के बाद ही बड़कागांव और पलामू का पूरा मामला समझ में आया। इसके बाद कई हिंदू कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क किया, ताकि अच्छे तरीके से इनकी मदद हो सके। उन्होंने कहा कि पलामू के 50 हिंदू परिवारों का मामला भी ‘पाञ्चजन्य’ में ही पढ़ने को मिला। इसके बाद कई हिंदू कार्यकर्ता इनकी मदद के लिए आगे आने लगे हैं। इन परिवारों के लिए भी भोजन और कपड़ों की व्यवस्था की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि गत 2 सितंबर को ‘पाञ्चजन्य’ में खबर छपी थी कि हजारीबाग जिले के मुस्लिम-बहुल सिरमा में दो हिंदू बहनों और उसकी मां को वहां के मुसलमानों ने पहले पीटा, और उसके बाद कहा गया कि यदि गांव में रहना है तो मुसलमान बनना होगा। इसे लेकर यह परिवार काफी दहशत में था। पहले तो यह मामला थाने में दर्ज नहीं हो रहा था, उसके बाद हिंदू कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया तो मामला थाने में दर्ज हो पाया। इसके बाद भी इस मामले को वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था। स्थानीय कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद भी उन्हीं कट्टरपंथियों का साथ दे रही थीं। नौबत यहां तक आ गई थी कि उन्हें अपने घर से कई दिनों तक बाहर रहना पड़ा था। दोनों बच्चियों की पढ़ाई छूट गई थी।
दूसरी खबर पलामू जिले की थी। यह खबर 27 सितंबर को छपी थी, जिसमें बताया गया था कि जिले के पांडू प्रखंड के मुरुमातु गांव के 50 हिंदू परिवार लगभग एक महीने से दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। स्थानीय मुसलमानों ने इन लोगों को अपने घर से बेघर कर दिया और उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया था। यहां तक कि दशकों पुराने भगवान शिव के मंदिर भी को तोड़ दिया था। इनके पास खाने के लिए अन्न और रहने के लिए छत तक नहीं है। हालांकि अब इनकी मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता सामने आ रहे हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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