बॉक्स आफिस पर ‘लाल सिंह चड्ढा’ के औंधे मुंह गिरने के बाद आमिर खान की तुलना फिसड्डी घोड़े से की जा सकती है। एक ओर, टिकट खिड़की पर फिल्म ने जो भी थोड़ी-बहुत कमाई की है, उससे नुकसान की भरपाई होती नहीं दिखती।
यह लंबी रेस का घोड़ा है, दूर तक जाएगा़.. । पता नहीं यह बात कब, कहां और किसने कही, पर जिसने भी कही होगी, वह रेसकोर्स में नस्ली घोड़ों के बीच किसी कम क्षमतावान घोड़े में संभावनाएं देख रहा होगा। अन्यथा, फिसड्डी घोड़े पर दांव भला कौन लगाना चाहेगा।
बॉक्स आफिस पर ‘लाल सिंह चड्ढा’ के औंधे मुंह गिरने के बाद आमिर खान की तुलना फिसड्डी घोड़े से की जा सकती है। एक ओर, टिकट खिड़की पर फिल्म ने जो भी थोड़ी-बहुत कमाई की है, उससे नुकसान की भरपाई होती नहीं दिखती। दूसरी तरफ, जनता और निर्माताओं का भरोसा टूटा सो अलग। सिर्फ आमिर ही नहीं, ग्लैमर में डूबे रहने वाले बॉलीवुड के अधिकांश अभिनेताओं, अभिनेत्रियों और निर्माता-निर्देशकों की एक पूरी फौज है, जो फिल्में नहीं चल पाने के कारण आमजन से आंख मिलाने से कतरा रही है। ये वही हैं जो चुटकियों में 200-300 करोड़ की कमाई कर लिया करते थे, पर आज सारे जमीन पर हैं।
आमिर की डूबती नैया
इस देश ने आमिर खान को सब कुछ दिया, लेकिन फिल्म की कहानी हो या शूटिंग लोकेशन, वह विदेशी ही पसंद करते हैं। इसलिए इसकी खोज में तुर्की तक चले जाते हैं। ‘लाल सिंह चड्ढा’ भी टॉम हैंक्स निर्देशित अमेरिकी फिल्म ‘फॉरेस्ट गम्प’ का देसी रीमेक है, जो 1994 में बनी थी। फिल्म पिट गई तो तनाव दूर करने के लिए वे लॉस एंजिल्स चले गए। अब आमिर 2018 में बनी स्पैनिश फिल्म ‘चैम्पियंस’ का रीमेक बनाने वाले हैं।
‘लाल सिंह चड्ढा’ की विफलता से आमिर की ‘परफेक्शनिस्ट’ वाली छवि धूमिल हो गई है, यह फिल्म उन्हें गर्त में ले जा सकती है। कारण, फिल्म ‘दंगल’ (2016) के बाद से आमिर की फिल्मों की कमाई लगातार घट रही है। ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ और ‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’ इसका उदाहरण हैं। इसी के साथ उनकी साख भी गिर रही है। खासतौर से देश की छवि से खिलवाड़ और हिंदू विरोधी बयानों के कारण प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग उनसे छिटक गया है, जिसका असर ‘लाल सिंह चड्ढा’ की विफलता के रूप में सबके सामने है।
लगभग 180 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस फिल्म की पटकथा लिखने में अतुल कुलकर्णी को 10 साल लगे। फिल्म के रीमेक अधिकार लेने में सात साल और फिल्म बनाने में लगभग तीन साल लगे, जबकि आमिर का सपना टूटने में मात्र चार दिन लगे। 13 दिनों में यह फिल्म 60 करोड़ रुपये की रेखा भी नहीं लांघ पाई।
आलम यह है कि आमिर के लिए फिल्म की लागत का 50 प्रतिशत निकालना तक मुश्किल हो गया है। हालांकि इस बीच, बॉलीवुड गैंग ने यह खबर फैलाई कि विदेश में यह फिल्म अच्छी कमाई कर रही है। लेकिन ये दावे खोखले निकले, क्योंकि फिल्म की कुल वैश्विक कमाई मात्र 129 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 58 करोड़ रुपये घरेलू (इंटरनेट) तथा 59 करोड़ रुपये विदेश से हासिल हुए। हालांकि, ओटीटी अधिकार का मामला सुलझने के बाद आखिरकार आमिर और उनकी टीम को राहत मिली होगी।
बताया जाता रहा है कि यह फिल्म अक्तूबर में (संभवत: दीपावली के आसपास) नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी, पर इस सौदे में पहले जैसी बात नहीं है। पहले यह सौदा 150 करोड़ रुपये में होना था, लेकिन फिल्म के हश्र को देखते हुए अब 80-90 करोड़ में बात बन गई है। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब उन पर पैसा लगाना घाटे का सौदा हो सकता है।
लगता है कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ की विफलता ने आमिर की कमर तोड़ दी है। इसलिए उन्हें कदम-कदम पर समझौते करने पड़ रहे हैं। क्या वे वाकई फिर से किसी निर्माता से 100 करोड़ रुपये की फीस मांगने की स्थिति में हैं? फिलहाल, ऐसा नहीं लगता और आगे भी सूरते-हाल कुछ अच्छी नहीं दिखती, क्योंकि उनकी अगली फिल्म भी एक विदेशी फिल्म का रीमेक है।
वे नहीं सुधरेंगे
दर्शकों के बायकॉट से मिले झटके के बाद दूसरा कोई होता तो शायद गंभीरता से इस पर विचार करता कि गलती या चूक कहां हुई। शायद इस पर भी सोचता कि राष्ट्र विरोधी कार्य, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान और भारतीय संस्कृति का मजाक नहीं बनाना चाहिए। लेकिन मीडिया द्वारा प्रदत ‘परफेक्शनिस्ट’ का तमगा गंभीरता से सीने से चिपका कर रखने वाले आमिर को शायद यह पसंद नहीं कि कोई उनकी गलतियां गिनाए।
तभी वे एक और रीमेक बना कर ‘लाल सिंह चड्ढा’ जैसी गलती दोहराने जा रहे हैं। आमिर की हालत का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ को वे 6 महीने बाद ओटीटी पर लाने वाले थे, पर उन्हें दो महीने बाद ही इसे ओटीटी पर प्रदर्शित करना पड़ रहा है। जाहिर है, इस बार मनमानी नहीं चल पा रही। सामने वाले को भी मालूम है कि इस बार वे मोलभाव की स्थिति में नहीं हैं।
यही नहीं, फिल्म के प्रदर्शित होने के दो हफ्ते के भीतर उसे हुए नुकसान की भरपाई के लिए आमिर को सबसे बड़ा समझौता अपनी फीस से करना पड़ा। पहले जहां वितरकों का पैसा लौटाने की बात हो रही थी, वहीं बाद में खबर आई कि आमिर अपने मेहनताने के रूप में मिलने वाले 100 करोड़ रुपये छोड़ देंगे। ऐसा करके वह फिल्म निर्माताओं में से एक वायकॉम18 स्टूडियोज को होने वाले 100 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई कर पाएंगे।
बासी पटकथा
लगता है कि ‘लाल सिंह चड्ढा’ की विफलता ने आमिर की कमर तोड़ दी है। इसलिए उन्हें कदम-कदम पर समझौते करने पड़ रहे हैं। क्या वे वाकई फिर से किसी निर्माता से 100 करोड़ रुपये की फीस मांगने की स्थिति में हैं? फिलहाल, ऐसा नहीं लगता और आगे भी सूरते-हाल कुछ अच्छी नहीं दिखती, क्योंकि उनकी अगली फिल्म भी एक विदेशी फिल्म का रीमेक है।
आमिर जिस स्पैनिश फिल्म ‘चैम्पियंस’ का हिंदी रीमेक बनाने पर विचार कर रहे हैं, उसकी कहानी एक बास्केटबॉल कोच और बौद्घिक अशक्तता वाली उसके टीम के सदस्यों को लेकर है। यह तीसरा मौका होगा, जब आमिर की फिल्म में अशक्तता या अक्षमता पर केंद्रित होगी। ‘लाल सिंह चड्ढा’ में मुख्य किरदार लाल सिंह (आमिर खान) को एक मंदबुद्घि सिख के रूप में दिखाया गया है। क्या वह यह जताना चाहते थे कि भारतीय सेना में मंदबुद्घि लोगों को रखा जाता है? इससे पहले, 2007 में उन्होंने डिस्लेक्सिया से ग्रस्त एक बच्चे पर आधारित फिल्म ‘तारे जमीं पर’ का निर्देशन किया था। हालांकि ऐसे विषयों के प्रति अपने लगाव को लेकर उन्होंने खुलकर कभी कुछ नहीं कहा।
बहरहाल, नई फिल्म में आमिर एक अक्खड़ सिख कोच की भूमिका में होंगे। खबर है कि फिल्म की लोकेशन के लिए वह फिर से पंजाब का रुख कर सकते हैं। फिल्म का निर्देशन आऱ एस़ प्रसन्ना करेंगे, जो 2017 में आयुष्मान खुराना और भूमि पेडणेकर की फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ का निर्देशन कर चुके हैं। नई फिल्म में अनुष्का शर्मा भी काम कर सकती हैं। इसके अलावा, आमिर खान तीन और फिल्मों में काम कर रहे हैं।
इन फिल्मों में वे मुख्य किरदार नहीं, बल्कि मेहमान कलाकार की भूमिका में दिखेंगे। अपने बेटे जुनैद के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘प्रीतम प्यारे’ में वे मेहमान कलाकार के नाते दिखेंगे, जो ओटीटी पर प्रदर्शित होगी। इसके अलावा, वे अपनी पूर्व पत्नी किरण राव के निर्देशन में फिल्म ‘2 ब्राइड्स’ में भी दिखेंगे जो कि एक सामाजिक हास्य फिल्म बताई जा रही है। वे काजोल के साथ फिल्म ‘सलाम वैंकी’ में भी हैं, जिसका निर्देशन रेवती कर रही हैं। यहां भी एक सवाल उठता है कि तीन-चार साल में एक फिल्म बनाने वाले आमिर आखिर क्यों धड़ाधड़ फिल्में कर रहे हैं? वैसे, वह 2010 में किरण राव के निर्देशन में बनी फिल्म ‘धोबी घाट’ में भी काम कर चुके हैं। 2006 में आमिर के साथ शादी करने वाली किरण ने ही 2015 में कहा था कि उन्हें इस देश में रहने से डर लगता है। बता दें कि पिछले साल ही दोनों का तलाक हुआ है।
छोटे-बड़े सब पिटे
साल 2022 ने बता दिया कि जो देश की बात करेगा, वही बॉक्स आॅफिस पर राज करेगा। विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित ‘कश्मीर फाइल्स’ को ही लीजिए। इसे मिली अभूतपूर्व सफलता से पूरा बॉलीवुड सकते में है। 340 करोड़ रुपये की वैश्विक कमाई करने वाली यह फिल्म लंबे समय तक बॉलीवुड के ‘सूरमाओं’ की आंख की किरकिरी बनी रहेगी। कथित बौद्घिक फिल्मकारों की जमात की अगुआई करने वाले अनुराग कश्यप से लेकर रणवीर-दीपिका, अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन और शाहिद कपूर से लेकर टाइगर श्रॉफ तक किसी की भी फिल्म ने पानी तक नहीं मांगा।
करीब 30 करोड़ रुपये बजट वाली अनुराग कश्यप निर्देशित एवं तापसी पन्नू अभिनीत फिल्म ‘दोबारा’ मात्र 6 करोड़ रुपये का कारोबार ही कर पाई। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले अनुराग कश्यप को तो यह याद भी नहीं होगा कि उनकी आखिरी फिल्म ने कब मुनाफा कमाया था। तापसी पन्नू भी उन्हीं के नक्शेकदम पर हैं। तापसी की फिल्म ‘शाबाश मिट्ठू’ का बजट भी करीब 30 करोड़ रुपये था, लेकिन यह मात्र 2.89 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सकी। इसी तरह, तापसी की तेलुगु फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल’, ओटीटी पर प्रदर्शित ‘लूप लपेटा’ और ‘रश्मि रॉकेट’ भी पिट गई।
वहीं, बड़े सितारों में इस साल अब तक अक्षय कुमार की कोई भी फिल्म बॉक्स आफिस और दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर ही कोई छाप छोड़ सकी है। उनकी फिल्म ‘पृथ्वीराज’, ‘रक्षा बंधन’ और ‘बच्चन पांडे’ का प्रदर्शन भी निराशाजनक ही रहा है। इसी तरह, यशराज बैनर के तले बनी रणबीर कपूर और संजय दत्त की फिल्म ‘शमशेरा’ भी औंधे मुंह गिरी और केवल 63 करोड़ रुपये की ही कमाई कर सकी। यह एक महत्वाकांक्षी फिल्म थी और इसे लेकर लंबे समय से काफी चर्चा हो रही थी। लेकिन रणबीर के खराब अभिनय और बेदम निर्देशन के लिए फिल्म समीक्षकों ने तो इसे धोया ही, दर्शकों ने भी इसे नकार दिया।
यह दर्शाता है कि लोग अब बॉलीवुड के बासीपन से ऊब गए हैं। यही हाल रणवीर सिंह का भी रहा। 86 करोड़ रुपये की बजट वाली उनकी फिल्म ‘जयेसभाई’ भी 26 करोड़ रुपये ही जुटा सकी। उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण का जोर जब बड़े परदे पर नाकाम रहा तो उन्होंने फिल्म ‘गहराइयां’ के जरिये ओटीटी पर भाग्य आजमाया। लिव-इन-रिलेशनशिप, विवाहेत्तर संबंध, लोभ-लालच और अंतरंग दृश्यों की चाशनी में डूबी इस फिल्म में सोच की गहराई का अभाव था, जिसे दर्शकों ने भाव नहीं दिया। इस फिल्म के निर्देशक शकुन बत्रा और निर्माता करण जौहर थे। आप पाएंगे कि जब भी इस तरह की फिल्में आती हैं तो उनके पीछे एक ही तरह के लोग होते हैं, जिनकी सोच भी एक जैसी होती है। इनका देश की संस्कृति और समाज से कोई लेना-देना नहीं होता है।
दक्षिण की फिल्मों पर चुप्पी
बड़ी कमाई की आस लगाए अजय देवगन की फिल्म ‘रनवे 34’ भी पूरी लागत वसूल नहीं पाई। फिल्म करीब 65 करोड़ रुपये में बनी थी और 54 करोड़ रुपये का कारोबार ही कर पाई। हालांकि फिल्म में ताजगी थी, लेकिन दक्षिण की फिल्मों के आगे नहीं टिक पाई। अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘झुण्ड’ ने भी दर्शकों को निराश किया।
इसके अलावा, बॉक्स आफिस पर पिटने वाली फिल्मों में राजकुमार राव की ‘बधाई दो’ और ‘हिट’, जॉन अब्राहम की ‘अटैक’ व ‘एक विलेन रिटर्न्स’ (अर्जुन कपूर के साथ), आयुष्मान खुराना की ‘अनेक’, अभिषेक बच्चन की ‘दसवीं’, शाहिद कपूर की ‘जर्सी’ और टाइगर श्रॉफ की ‘हीरोपंती 2’ के नाम प्रमुख हैं। उधर, दक्षिण में एस़ एस़ राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’, यश की एक्शन फिल्म ‘केजीएफ 2’ तथा अलु अर्जुन की ‘पुष्पा: दि राइज’ की सफलता पर भी बॉलीवुड में सन्नाटा पसरा हुआ है।
हाल में आई ‘कार्तिकेय 2’ की सफलता ने भी जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है, जो हिंदी पट्टी से 30 करोड़ रुपये का कारोबार कर सुपरहिट करार दी जा चुकी है। लेकिन बॉलीवुड की कोई फिल्म नहीं चल रही है। आलम यह है कि जनवरी से लेकर सिंतबर तक यानी 263 दिन में करीब 60 फिल्में रिलीज हुई, जिनमें से सिर्फ 6 ही बॉक्स आफिस पर बॉलीवुड की नाक बचा पाई, बाकी 54 फिल्में सुपरफ्लॉप साबित हुई।
हालांकि बड़ी बजट और बड़े अभिनेता-निर्देशकों की निराश करने वाली फिल्मों के बीच ‘दि कश्मीर फाइल्स’ और कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ ने 250 करोड़ रुपये, जबकि दो अन्य फिल्में ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ (209 करोड़ रुपये) और ‘जुग जुग जियो’ (135 करोड़ रुपये) ने न केवल अच्छा कारोबार किया, बल्कि यह उम्मीद भी जगाई है कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। ल्ल
टिप्पणियाँ