जदयू के रथ पर लगे चित्र में पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह को श्रीकृष्ण और नीतीश कुमार को अर्जुन के रूप में दिखाया गया है। इससे पहले राजद नेता तेजप्रताप अपने को कृष्ण और छोटे भाई तेजस्वी को अर्जुन बताते रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि बिहार में कितने अर्जुन और कितने श्रीकृष्ण हैं।
इस समय बिहार में महागठबंधन (राजद और जदयू) के नेता अपने में ही व्यस्त हैं। यही नहीं, इन नेताओं के बीच अर्जुन और कृष्ण की भरमार हो गई है। राजद के अंदर तेजप्रताप यादव बार-बार स्वयं को कृष्ण और अपने अनुज और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अर्जुन बताते रहे हैं। वैसे महाभारत में श्रीकृष्ण सबके प्रिय थे। लेकिन राजद के श्रीकृष्ण तेजप्रताप को तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से ही नहीं बनती है। उनका विवाद अक्सर सामने आते रहता है। अमर्यादित शब्दों से उन्होंने कई बार जगदानंद सिंह को अपमानित किया है, लेकिन इससे राजद की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
अब नए प्रकरण में जदयू ने एक रथ जारी किया है। रथ पर लगे चित्र में पार्टी के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को श्रीकृष्ण के रूप में दिखाया गया है और उनके रथ पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अर्जुन के रूप में विराजमान हैं। नीतीश कुमार के हाथों में गांडीव भी है। पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा को अभिमन्यु के तौर पर दिखाया गया है।
अब बिहार की जनता यह समझ नहीं पा रही है कि इनमें कौन सा महाभारत असली है? 2024 के लोकसभा चुनाव में कितने कृष्ण और कितने अर्जुन सामने रहेंगे ? अगर महागठबंधन पक्ष की बात हो तो एक पक्ष से दो-दो अर्जुन, दो-दो कृष्ण के रथ पर विराजमान होंगे। सबसे चकित तो अभिमन्यु बने उपेंद्र कुशवाहा कर रहे हैं। पलटू राम जैसे ये भी कभी इस दल में तो कभी उस दल में रहते हैं। 2015 के चुनाव में अपने इस ‘अर्जुन’ को उन्होंने जी भर कर कोसा था। अब फिर से जुगलबंदी कर रहे हैं। ललन सिंह भी नीतीश से अलग हुए थे। अपनी किस्मत लोकसभा चुनाव में आजमा चुके थे। फिर से नीतीश कुमार की शरण में आए। यह अजूबा महाभारत ही है, जिसमें कोई पात्र स्थिर नहीं है।
वैसे भी बिहार में कुछ अलग ही चलन चल रहा है। आरा के कोईलवर मानसिक आरोग्यशाला के एक उद्घाटन कार्यक्रम में दो रिबन लगाए गए थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद ने एक साथ दो रिबन काटकर आरोग्यशाला का उद्घाटन कार्यक्रम संपन्न कराया था। हो सकता है कि मानसिक आरोग्यशाला के माहौल के कारण ऐसा संभव है। लेकिन पिछले महागठबंधन सरकार का अनुभव भी कुछ बेहतर नहीं था। पथ निर्माण विभाग के पोस्टर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गायब कर दिए गए थे।
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने व्यंग्य किया है कि इनकी मानसिक स्थिति देखकर समझा जा सकता है कि ये वास्तव में किस पक्ष के बहरूपिए हैं ? महाभारत में श्रीकृष्ण अन्याय और अत्याचार के खिलाफ पांडवों के साथ खड़े थे, आज बिहार के कथित अर्जुन और कृष्ण तो अन्याय और अत्याचार के साथ खड़े हैं। जनता इनकी सच्चाई जानती है और अपने वोट के माध्यम से इनको इनका सही स्थान बतायेगी।
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