अफगानिस्तान के शिक्षण संस्थान पर आत्मघाती हमला, सौ से ज्यादा बच्चों की मौत

तालिबान तथा आइएस दोनों सुन्नी आतंकी गुट हैं। ये दोनों ही शिया समुदाय को मजहबद्रोही मानते है। इनके अनुसार शिया मुसलमान नहीं हैं और हमेशा धोखा किया है। इसीलिए सुन्नी आतंकीयों द्वारा शिया हजारा समुदाय को निशाना बनाकर हमला किया जाता रहा है।

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शिक्षण संस्थान पर शुक्रवार को सुबह आत्मघाती आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में सौ से अधिक बच्चों की मौत हो गयी है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। घायलों को गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया है। दावा किया जा रहा है कि सभी मृतक शिया और हजारा समुदाय के सदस्य थे।

अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथ में पहुंचने के बाद से लगातार वहां आतंकी हमले हो रहे हैं। आज राजधानी काबुल के शिया इलाके के एक शिक्षण संस्थान पर जबर्दस्त आत्मघाती आतंकी हमला किया गया। काबुल पुलिस के प्रवक्ता खालिद जादरान के मुताबिक पश्चिमी काबुल के दश्त-ए-बर्ची इलाके में स्थित काज एजूकेशन सेंटर में मौजूद विद्यार्थी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा दे रहे थे, तभी स्थानीय समयानुसार सुबह साढ़े सात बजे आत्मघाती धमाका हुआ। शिक्षण संस्थान के आसपास बड़ी संख्या में हजारा समुदाय के लोग रहते हैं, जिन्हें मुस्लिम होते हुए भी अल्पसंख्यक माना जाता है।

अचानक हुए धमाकों के बाद वहां अफरातफरी मच गयी। पूरा शिक्षण संस्थान परिसर चीखों से गूंज उठा। घटना की तस्वीरों और वीडियो में लहूलुहान पीड़ितों को घटनास्थल से ले जाते हुए देखा जा सकता है। शिक्षण संस्थान में मौजूद विद्यार्थियों के परिजन भाग कर वहां पहुंचे। भारी संख्या में हमले से प्रभावित लोगों को अली जिन्ना अस्पताल सहित आसपास के अस्पतालों में ले जाया गया।

अली जिन्ना अस्पताल के चिकित्सक अब्दुल गयास मोमांड ने पहले 23 लोगों की मौत का दावा किया था। धीरे-धीरे इस संख्या में वृद्धि होने लगी। एक स्थानीय पत्रकार बिलाल सरवरी ने ट्वीट कर सौ छात्रों के शवों की गिनती करने का दावा किया। उनके मुताबिक मरने वालों की संख्या सौ से अधिक है, क्योंकि धमाके के दौरान कक्षाओं में बच्चे मौजूद थे। तमाम शिक्षक बच्चों के शव उठाते देखे गए। धमाका इतना जोरदार था कि कई बच्चों के शव क्षत-विक्षत हो गए। इनके अलावा दर्जनों घायल अस्पताल पहुंचे हैं। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी टकोर ने बताया कि हमले की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों को घटनास्थल पर रवाना किया गया है। अभी तक हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है। हमले की प्रकृति के बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन के प्रभारी करेन डेकर ने काज उच्च शिक्षा केंद्र पर हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि परीक्षा देने वाले छात्रों से भरे कमरे को निशाना बनाना शर्मनाक है।

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों का राज आने के बाद से वहां का शिया हजारा समुदाय निशाने पर बना रहा है। पिछले कुछ दिनों से तालिबान के दुश्मन गुट आईएस ने वहां अपनी आतंकी गतिविधियां बढ़ाते हुए, शियाओं को लगातार निशाना बनाया है। तालिबान तथा आइएस दोनों सुन्नी आतंकी गुट हैं। इसलिए शिया लोग खुद को खतरे में मान रहे हैं। आतंकी संगठन आईएसआईएस शिया समुदाय को मजहबद्रोही मानता है। उसका मानना है कि शिया मुसलमान नहीं हैं और उन्होंने सुन्नियों के साथ हमेशा धोखा किया है। इसलिए इस्लामिक स्टेट में उनके लिए कोई जगह नहीं है। उन्हें शिया जहां भी मिलते हैं, वहीं उनकी हत्या कर दी जाती है।

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