देहरादून। राज्य सरकार में तैनात आईएफएस अधिकारी सरकार की योजनाओं पर ही आपत्तियां लगा कर काम रुकवा दे रहे हैं। खास बात ये कि इन योजनाओं पर पहले से एनओसी मिली हुई थी, लेकिन नए निर्माण पर इन्हें आपत्ति है।
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले हल्द्वानी दौरे पर एक सड़क के चौड़ीकरण की योजना का शुभारंभ किया था। हल्द्वानी से रुद्रपुर के बीच 21 किलोमीटर रोड को दस फुट तक चौड़ा किया जाना है। ये रोड आगे जाकर मटकोटा दिनेशपुर से जुड़कर एनएच 74 से लिंक होनी है। सड़क के दोनों तरफ पांच-पांच फीट को चौड़ा करने के लिए गड्ढे भी कर दिए गए। इसी दौरान हल्द्वानी डीएफओ वैभव कुमार ने आकर काम रुकवा दिया और पहले वन विभाग के केंद्रीय कार्यालय से अनापत्ति पत्र लाने को कहा है। खास बात ये है कि सड़क के मध्य से 55 फुट तक पीडब्ल्यूडी का स्वामित्व है और चौड़ी होने वाली सड़क की चौड़ाई भी 55 फुट नहीं है और न ही इसमें कोई पेड़ बाधक है। इसके बावजूद काम रुकवा दिया गया।
दो हफ्ते पहले हल्द्वानी में कैंसर अस्पताल में नव निर्माण उन्हीं के परिसर में होना था। उसे भी डीएफओ ने जाकर रुकवा दिया। तर्क दिया गया कि ये भूमि वन विभाग द्वारा लीज पर अस्पताल को ट्रांसफर की गई है। इसलिए नव निर्माण के लिए अनापत्ति पत्र दिखाया जाए। जबकि ये परिसर पहले वन विभाग ने अपने अस्पताल के लिए निर्मित किया था, जिसे बाद में राज्य सरकार ने अपने अधीन करते हुए मेडिकल कॉलेज बनाया था।
खबर है कि उत्तराखंड में आइएएस और आईएफएस लॉबी का आपस में टकराव चल रहा है और उसका खामियाजा सरकार को विकास योजनाओं को भुगतना पड़ रहा है। एक दो नहीं, बल्कि दर्जनों सरकारी योजनाओं पर आपत्तियां लगा देने से योजनाओं की लागत दिनो-दिन बढ़ती जा रही है। जो उत्तराखंड सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
डीएफओ वैभव कुमार का कहना है कि सड़क के चौड़ीकरण मामले में सड़क के दोनों तरफ कुछ जमीन वन विभाग की आ रही है। लिहाजा काम रुकवाया गया है और वन मंत्रालय से एनओसी लाने को कहा गया है। कैंसर अस्पताल की जमीन यूपी के समय वन विभाग ट्रस्ट को दी गई थी। अब इसमें राज्य सरकार बिल्डिंग बना रही है। लीज ट्रांसफर होने की औपचारिकता है, उसे पूरा करने के लिए अस्पताल प्रशासन को बोला गया है।
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता जितेंद्र डोबरियाल का कहना है कि 21 किलोमीटर की सड़क के चौड़ीकरण का काम ब्रिडकुल को दिया गया है। वन विभाग की आपत्ति मिली है। हमने शासन को लिख दिया है। शासन स्तर से इस मामले का निस्तारण किया जाएगा।
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