अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाकों की सरकार के एक बड़े वाले मंत्री ने तालिबान के आकाओं को कहा है कि लड़कियों के लिए स्कूल फिर से खोल दिए जाने चाहिए। उसने यहां तक कहा है कि इस्लाम लड़कियों के पढ़ने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाता है। लड़कियों के लिए स्कूल बंद करना ठीक नहीं है।
कल काबुल में तालिबान लड़ाकों की एक बैठक हुई थी। उसमें वहां की लड़ाका सरकार में उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने ऐसा कहकर जहां अपने लड़ाका कुनबे में खलबली मचा दी है। शेर मोहम्मद ने खुलकर कहा कि छठी क्लास से आगे लड़कियों के लिए पढ़ाई जारी रखने की व्यवस्था शुरू होनी चाहिए, स्कूलों को फिर से खोलना चाहिए। यहां यह ध्यान रहे कि उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद तालिबान लड़ाकों में थोड़ी उदार आवाज माने जाते हैं।
हालांकि खुद अफगानिस्तान में उनके इस बयान पर भरोसा करने वाले कम ही लोग हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि लड़ाकों के इस गुट में चलती तेज-तर्रार और ‘शरीयती हिंसा’ में यकीन करने वाले मुल्लों की ही है। वैसे अफगानिस्तान में आज के दौर में इतना कहना भर बड़ी बात मानी जा रही रही है कि लड़कियों के लिए स्कूल फिर से खोले जाएं क्योंकि इस्लाम में इस पाबंदी के लिए कोई उचित वजह नहीं बताई गई है।
अभी यह कहना मुश्किल है कि तालिबानी उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद की यह ‘उदार अपील’ कितना रंग लाएगी। पर बात अपने आप में लीक से हटकर ही है। शायद यही वजह है कि उस देष में आगे पढ़ने की इच्छुक लड़कियों और उनके माता-पिता में शेर मोहम्मद के इस कथन से एक उम्मीद तो बंधी है।
पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार को बंदूक के दम पर हटाकर सत्ता में आने के बाद तालिबानियों ने सबसे पहले महिलाओं पर गाज गिराई थी। हालांकि शुरू में तो बड़े वादे किए गए थे कि महिलाओं को मुख्यधारा में ही रखा जाएगा। लेकिन असलियत में सबसे ज्यादा पाबंदियां और सख्ती उन्हीं पर लगाई गई थी। लड़कियों के माध्यमिक तथा हाई स्कूल बंद कर दिए गए थे। महिलाओं को बोरेनुमा बुर्कों में सिर से पांव तक ढके रहने को मजबूर कर दिया गया।
बाद में तालिबान सरकार की ओर से कहा गया कि वे लड़कियों के माध्यमिक स्कूल खोलने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन ऐसा कब तक हो पाएगा, इसकी कोई समयसीमा नहीं बताई गई है। इसलिए वहां लड़कियों की उम्मीद धुंधलाती जा रही है कि अब वे छठी से आगे पढ़ जाती है।
शेर मोहम्मद की बात आगे तक गई। उन्होंने कहा कि तालिबान सरकार दूसरों को सरकार और जनता के बीच दरार पैदा करने का मौका दे। अगर इसमें कोई तकनीकी मुद्दे अड़चन बने हुए हैं तो उन्हें सुलझाना चाहिए और तब लड़कियों के लिए स्कूल खोल देने चाहिए। उधर संयुक्त राष्ट्र ने एक आकलन के हिसाब से बताया है कि पिछले साल अफगानिस्तान में 10 लाख से ज्यादा लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगाई गई थी।
टिप्पणियाँ