सेंट जोसेफ कॉन्वेंट की प्राचार्य सिस्टर जोसेफिन वहां की हिंदू शिक्षिकाओं को इसलिए डांटती हैं कि वे सिंदूर और बिंदी लगाकर आती हैं। इसलिए हर पर्व-त्योहार के समय हिंदू शिक्षिकाएं डर-डर कर विद्यालय जाती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही जीवत्पुत्रिका व्रत संपन्न हुआ।
पटना के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट की प्राचार्य सिस्टर जोसेफिन वहां की हिंदू शिक्षिकाओं को इसलिए डांटती हैं कि वे सिंदूर और बिंदी लगाकर आती हैं। इसलिए हर पर्व-त्योहार के समय हिंदू शिक्षिकाएं डर-डर कर विद्यालय जाती हैं। अभी कुछ दिन पहले ही जीवत्पुत्रिका व्रत संपन्न हुआ। विद्यालय की अनेक शिक्षिकाओं ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि व्रत के दौरान विद्यालय जाने में डर लगता था। इससे पहले हरितालिका तीज व्रत के समय भी ऐसा ही माहौल था।
31 अगस्त को व्रत का पारण था। कुछ शिक्षिकाएं सिंदूर की लंबी लकीर और बिंदी लगाकर विद्यालय आई थीं। उन्हें देखते ही प्राचार्य भड़क गर्इं। उन्होंने तुरंत सिंदूर की लकीर कम करने का आदेश दिया। शिक्षिकाओं को बहुत बुरा लगा। कुछ शिक्षिकओं ने लकीर कम कर ली, तो कुछ ने उनके आदेश को नहीं माना। बाद में ऐसी शिक्षिकाओं को डांटा गया। यही नहीं, उन्हें चेतावनी भी दी गई।
जब इसकी जानकारी हिंदू संगठनों को हुई तो उन्होंने प्राचार्य के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की। ‘अखिल भारत हिंदू महासभा’ के राष्टÑीय संगठन मंत्री यशवंत सिंह कहते हैं, ‘‘ईसाई संगठनों के विद्यालयों में हिंदू शिक्षकों और शिक्षिकाओं को प्रताड़ित किया जाता है, जबकि हिंदू छात्रों को ईसाई बनाने का प्रयास होता है। ऐसे तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।’’
सिंदूर मिटाओ, ईसाई बनो
धनबाद के बलियापुर थाना क्षेत्र के अमझर गांव के रविदास टोला में ईसाई मिशनरी के लोग पिछले तीन साल से हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं। अब तक ये लोग 50 हिंदुओं को ईसाई बना चुके हैं। गांव के लोगों ने बताया कि प्रत्येक रविवार को यहां काफी संख्या में बाहर के लोग आते हैं।
ये लोग पहले तो प्रार्थना सभा का आयोजन करते हैं, उसके बाद गांव के गरीब और पिछड़े हिंदू परिवारों को अंधविश्वास के नाम पर डराते हैं, या फिर कुछ लोगों को पैसे और ऊंची पढ़ाई का प्रलोभन देते हैं। अमझर गांव की एक महिला ने बताया कि मिशनरी के लोग कहते हैं, ‘‘तुम लोग जिनकी पूजा करते हो वे भगवान नहीं शैतान है। अपने माथे पर सिंदूर लगाना बंद करो और ईसाई बन जाओ।’’
पता चला है कि कन्वर्जन करवाने वाले पास्टर असीम कुमार नंदी ने पिछले 3 साल में गांव के मधुसूदन दास, बबीता देवी, दीपक कुमार दास, कृष्णपद दास, शंकर रविदास, अनिल कुमार दास, प्रियंका देवी, अंबिका देवी, लखीराम दास, जूही देवी, दुलाली देवी, उमा देवी आदि लोगों को ईसाई बना दिया है, वह भी प्रशासन को बताए बिना। जैसे ही इसकी जानकारी हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को हुई तो उन लोगों ने गांव वालों के साथ मिल कर 11 सितंबर को विरोध प्रदर्शन किया।
इन संगठनों ने मांग की है कि जो लोग भी लोभ लालच और नियमों को ताक पर रखकर हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इसके बाद पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए मिशनरी संगठनों के लोगों को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया है।
हिंदू कार्यकर्ता सोनू गिरी के अनुसार सिंदरी विधानसभा के कई गांव पिछले कई वर्षों से मिशनरी संस्थाओं के निशाने पर हैं। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में पशुओं की तस्करी, पशुओं की कटाई और उनके मांस की बिक्री भी हो रही है।
बलियापुर के समीर प्रमाणिक के अनुसार मिशनरियों की गतिविधि पूरे सिंदरी विधानसभा में चल रही है। इसकी जानकारी प्रशासन से लेकर सरकार में बैठे सभी नेताओं को भी है। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इन दोनों घटनाओं से यही प्रतीत होता है कि ईसाई मिशनरी के लोग हर हाल में हिंदुओं को ईसाई बनाना चाहते हैं और जो लोग उनकी बात नहीं मानते हैं, उन्हें अवसर मिलते ही प्रताड़ित करते हैं।
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