उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक भव्य कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में प्रदेश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक्सपर्ट, डीआरडीओ, डीपीटीआई और इन्वेस्टर्स आदि के साथ विचार-विमर्श किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को स्टार्टअप की दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है, ताकि इससे हर क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा मिले सके।
उन्होंने अधिकारियों को इनोवेटिव आइडिया के साथ ही अन्य राज्यों द्वारा किए जा रहे अच्छे आइडिया को तुरंत अपनाए जाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे आइडिया जो अच्छे तो हैं, लेकिन किसी कारण से उन्हें फंडिंग नहीं मिल पा रही है, उनके लिए सरकारी सिस्टम को सहयोग के लिए आगे आने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप के लिये 100 करोड़ रूपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है, निर्धारित समय सीमा में इस राशि का उपयोग किया जाए। कृषि, फूड, पर्यटन समेत हर एक क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ाने की जरूरत है।
विशेष सचिव आई.टी. एवं इलेक्ट्रॉनिक्स अक्षय त्रिपाठी ने अवगत कराया कि नोडल एजेंसी के रूप में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग स्टार्टअप पॉलिसी को प्रदेश में सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए नियमित मॉनिटरिंग कर रहा है। मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी भी गठित की गई है। प्रदेश में 10 हजार स्टार्टअप के लिए अनुकूल ईको सिस्टम, 100 इन्क्यूबेटरों का नेटवर्क, 3 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, इनोवेशन हब एवं देश का सबसे बड़ा इनक्यूबेटर लखनऊ में स्थापित कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में 7 हजार से अधिक स्टार्टअप रजिस्टर्ड हो चुके हैं, 55 रजिस्टर्ड इनक्यूबेटर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थापित हो चुके हैं।
इसके अतरिक्त सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के अंतर्गत एसजीपीजीआई लखनऊ में मेडटेक व आईआईटी कानपुर, नोएडा में एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है। राज्य में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डॉ ए.पी.जे.अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय में इनोवेशन हब स्थापित किया गया है। सबसे बड़ा इन्क्यूबेटर नादरगंज औद्योगिक क्षेत्र, अमौसी में नोडल एजेंसी द्वारा प्राप्त भूमि पर बनाया जाना प्रस्तावित है।
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