डॉ. मनमोहन सिंह नीत यूपीए सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली भू एवं विकास विभाग और दिल्ली विकास प्राधिकरण की 123 सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया।
कांग्रेस ने अपनी तुष्टीकरण नीति और मुस्लिम वोटबैंक हथियाने के लिए न सिर्फ 1995 में वक्फ कानून में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को असीमित अधिकार दिए बल्कि बड़ी मात्रा में सरकारी जमीन भी वक्फ बोर्ड के हवाले करने में भी कोई कोताही नहीं की।
डॉ. मनमोहन सिंह नीत यूपीए सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली भू एवं विकास विभाग और दिल्ली विकास प्राधिकरण की 123 सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया।
चुनाव से ठीक पहले मनमोहन सरकार ने 5 मार्च, 2014 को एक सरकारी गजट निकाला। इस गजट में कहा गया कि दिल्ली में भू एवं विकास कार्यालय की 61 और दिल्ली विकास प्राधिकरण की 62 संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी जाएंगी। यह गजट तब निकला, जब देश में चुनाव आचार संहिता लागू थी।
इस अधिसूचना के पहले बिंदु में कहा गया कि इन संपत्तियों के संदर्भ में सरकार, या डीडीए या किसी अन्य सरकारी विभाग की ओर से कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
दूसरे बिंदु में कहा गया कि सरकार या दिल्ली विकास प्राधिकरण के विरुद्ध दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी न्यायालय में दाखिल उक्त संपत्तियों से संबंधित वाद को पहले वापस लिया जाएगा।
यानी दिल्ली वक्फ बोर्ड ने सरकार पर संपत्तियों के लिए मुकदमा किया और मुकदमा वापस लेने के नाम पर सरकार वे संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप देती है। देश की जनता को दिखाने के लिए कहती है सरकार कोई मुआवजा नहीं देगी।
सरकारी जमीनों को वक्फ बोर्ड को सौंपने के फैसले के खिलाफ विहिप ने ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन उसकी अपील ये कहकर ठुकरायी गई थी कि सभी संबंधित पक्षों से बातचीत कर केंद्र सरकार फैसला करे। 2016 में डीडीए ने इस पर एक सदस्यीय समिति भी बनाई थी। अब ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में है और सरकार का पक्ष मांगा गया है।
इन 123 संपत्तियों में 29/1, जे पी हॉस्पिटल के भीतर पक्का मजार, 49/1, मस्जिद और कब्रिस्तान, तुर्कमान गेट, रामलीला ग्राउंड, इंडिया गेट के पास मान सिंह रोड पर 7/1 जपटा गंज मस्जिद, 4/1, इरविन रोड पर हनुमान मंदिर के पास मस्जिद, संसद भवन के पास 60/1 शामिल है।
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