बांग्लादेश की सरकार ने एक स्वागतयोग्य फैसला लेते हुए भारत के सुप्रसिद्ध संगीतकार सचिन देबबर्मन के पैतृक घर को संरक्षित स्थान बनाने के साथ ही, अब उसे एक सांस्कृतिक परिसर के रूप में स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाया है। इस कार्य के लिए सरकार ने 86 लाख रु. का अनुदान भी स्वीकार किया है। महालय के अवसर पर शेख हसीना सरकार के इस कदम से सचिन दा के प्रशंसकों सहित भारत के संगीत जगत में एक सुखद एहसास जगा है।
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बांग्लादेश में अधिवक्ता तथा वहां के प्रसिद्ध इतिहासकार गोलम फारुक ने कहा है कि कुमिला के दक्षिणी चरथा गांव में राजाबाड़ी (महल) में 1906 में सचिन देबबर्मन का जन्म हुआ था और जीवन की शुरुआत यहीं से करते हुए वे यहां 18 साल रहे थे। उस जमाने में यह कुमिला नगर बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। फारुक ने सचिन दा पर एक मोटा ग्रंथ भी संपादित किया है।
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बांग्लादेश के कुमिला जिले में स्थित प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देबबर्मन का पैतृक घर किसी महल से कम नहीं है। इसी घर को अब वहां की सरकार एक सांस्कृतिक परिसर बनाने की तैयारी कर रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना हेतु बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने 1.10 करोड़ टका (86 लाख रुपये) का अनुदान स्वीकृत किया है।
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उल्लेखनीय है कि सचिन दा का यह पैतृक घर बांग्लादेश की सरकार द्वारा नवंबर, 2017 में संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखने के आदेश दिए थे। फारुक की सचिन दा पर संपादित पुस्तक 596 पृष्ठ की है। इसमें उन्होंने भारत में फिल्म जगत के बेहद सम्मानित सचिन दा के जीवन के अनेक अनछुए आयामों पर प्रकाश डाला है और कुमिला में बिताए उनके दिनों की विशद जानकारी दी है। सचिन दा के पिता त्रिपुरा के राजकुमार महामान्यवर राजकुमार नबद्वीपचंद्र देब एक मशहूर सितारवादक थे, उन्हीं के शिष्य के नाते उन्होंने संगीत की शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी। सचिन दा की माता निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी थीं।
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सचिन दा के पिता कुमिला में अनेक वर्ष रहने के बाद त्रिपुरा लौट आए थे। त्रिपुरा लौटकर सचिन देबबर्मन उच्च अध्ययन के लिए कलकत्ता (अब कोलकाता) गए थे, वहां से 1944 में वे फिल्म जगत संगीत देने के लिए बम्बई (अब मुंबई) चले आए। बम्बई आकर उन्होंने अनेक हिंदी फिल्मों में संगीत दिया और उनकी लगभग हर फिल्म में संगीत ने नए आयाम छुए और उनके गायन की शैली ने लोगों को बेहद आकर्षित किया। आज भी उनके गाए गीत बहुत चाव और सम्मान के साथ सुने जाते हैं। सचिन दा ने 80 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया था। भारत सरकार ने सचिन दा की स्मृति में 2007 में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
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