शिमला। हिमाचल के शिमला जनपद के जुब्बल में वन भूमि पर किए गए अवैध कब्जों के मामले में वन विभाग ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को रिपोर्ट सौंपी दी है। रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि रोहड़ू फॉरेस्ट डिवीजन में 444 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा करने पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
एनजीटी को बताया गया है कि 30 जून 2022 तक 421 लोगों ने 10-10 बीघा से अधिक वन भूमि पर कब्जा किया है। 452 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जाधारियों के खिलाफ बेदखली आदेश पारित किए गए हैं। इनमें से 441 हेक्टेयर वन भूमि से कब्जे छुड़ा लिए हैं। दस बीघा से कम भूमि पर भी लोगों ने कब्जे किए थे। कुल 465 हेक्टेयर वन भूमि ऐसी थी। इसमें से 453 हेक्टेयर से कब्जे हटा दिए गए हैं। इसके अलावा कब्जा करने वाले 1,650 लोगों के खिलाफ अदालत में मामले लंबित हैं, इसमें 203 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है। 1,075 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जों के नियमितीकरण के लिए 3,082 आवेदन प्राप्त हुए हैं। जानकारी के मुताबिक जुब्बल कस्बे के रहने वाले पर्यावरणविद कुलतार सिंह ने एनजीटी को वन भूमि पर अवैध कब्जों के बारे में पत्र लिखा था। इसके बाद एनजीटी ने इस मामले को संज्ञान में लिया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि जुब्बल क्षेत्र में वन भूमि पर कब्जे किए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के तहत इन कब्जों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन बाद में इस मुहिम को बंद कर दिया गया।
एनजीटी ने इस बारे में अपने स्तर से भी जांच करवाई थी और पाया था कि आरोप गंभीर हैं। एनजीटी ने 7 जुलाई 2022 के संयुक्त कमेटी को आदेश दिए थे कि वह याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच करे और कानूनी तौर पर आवश्यक कदम उठाए।
पेड़ लगाने के लिए खड़ापत्थर में चिह्नित करनी पड़ी जमीन
याचिकाकर्ता कुलतार सिंह ने शिकायत में कहा था कि वह वन भूमि पर सदाबहार पेड़ लगाना चाहते हैं, लेकिन कब्जों के चलते वन विभाग भूमि मुहैया नहीं करवा पा रहा है। अब वन विभाग ने याचिकाकर्ता को सदाबहार पेड़ लगाने के लिए जुब्बल के बजाय खड़ापत्थर में 45 बीघा वन भूमि चिह्नित की है। साथ ही पेड़ लगाने में सहयोग की पेशकश भी की है।
एनजीटी के सख्त रुख से हिमाचल वन विभाग भी सहमा हुआ है और वो अब वन भूमि को खाली करवाने के लिए बराबर कार्रवाई करने में लगा हुआ है।
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