Representional image
पाकिस्तान की महिलाएं अब पारिवारिक प्रताड़ना के विरुद्ध सख्त कदम उठाने लगी हैं इसलिए वहां तलाक के मामलों में पिछले दस साल में उछाल देखने में आया है। पुरुषों के मुकाबले अब महिलाएं तलाक का रास्ता अपना रही हैं। वे खुला कानून के तहत तलाक के लिए आगे आ रही हैं।
पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान में समाज के स्तर पर आ रहे इस बड़े बदलाव का खुलासा एक सर्वे में हुआ है। वहां महिलाएं तलाक देने के मामले में पुरुषों के मुकाबले कहीं आगे चल रही हैं। गत एक दशक में तलाक के मामलों में 58 प्रतिशत की बढा़ेतरी देखी गई है।
सर्वे से चौंकाने वाली बात सामने आई है कि ये महिलाएं पारिवारिक प्रताड़ना से त्रस्त हैं। इसलिए वे अब तलाक तक लेने से परहेज नहीं कर रही हैं। उसने सामने वहां प्रचलित खुला कानून है जिसका आज ज्यादा से ज्यादा प्रयोग हो रहा है। माना यह जा रहा है कि पुरुषों के मुकाबले वहां महिलाएं अब ज्यादा ताकतवर बनकर उभर रही हैं। पहले जैसा होता था उससे उलट पाकिस्तान में महिलाएं अब निकाह के बाद अपनी बेइज्जती सहने को तैयार नहीं हैं।
यह सही है कि इस्लामी देश पाकिस्तान में महिलाएं अपने तलाक की अपील खुद दर्ज नहीं कर सकतीं, लेकिन शौहर की बिना सहमति के भी शरिया कानून के अंतर्गत वे अपना निकाह तोड़ सकती हैं, इसे ही ‘खुला’ कहते हैं। ‘खुला’ शब्द अब वहां के पुरुशों के लिए एक हौव्वा जैसा बनता जा रहा है। इसमें कोई दखल दे सकता है तो बस पारिवारिक मामले देखने वाला न्यायालय।
‘ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेंटर’ में वकालत के मामले को देखने वालीं अतिका हसन रजा का कहना है कि पाकिस्तान में अब पारिवारिक अदालतों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसमें ‘खुला’ जैसे कानूनों पर विचार करने की बात की जा रही है। इतना ही नहीं, पारिवारिक कानून के जजों की संख्या भी बढ़ाने पर विचार चल रहा है।
सर्वे के दौरान यह भी पता चला है कि पाकिस्तान में 5 में से 2 महिलाओं को लगता है कि तलाक की मुख्य वजह ससुराल वालों के तरफ से अपमान और प्रताड़ना के साथ ही शौहर का दुर्व्यवहार, दिमागी सेहत जैसी वजहें भी हैं।
Leave a Comment