कोलकाता। अपना पूरा जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को समर्पित करने वाले वरिष्ठ प्रचारक केशव राव दीक्षित का मंगलवार सुबह 10:34 बजे निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और कोलकाता के अपोलो अस्पताल में आखिरी सांसें लीं। उम्रजनित बीमारियों से ग्रसित केशव जी काफी समय से अस्पताल में भर्ती थे।
केशव जी के निधन से संघ परिवार और अनुषांगिक संगठनों में शोक की लहर है। अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर केशव भवन स्थित संघ के प्रदेश मुख्यालय लाया गया, जहां संघ व अन्य संगठनों से जुड़े लोगों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी।
एक अगस्त 1925 को महाराष्ट्र के वर्धा जिला अंतर्गत पुलगांव में जन्मे केशव जी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और समाज को समर्पित कर दिया था। 1939 के दिसंबर महीने में उनका उपनयन संस्कार हुआ था। 1949 में उन्होंने जलगांव के एमजे कॉलेज से मराठी और संस्कृत में स्नातक की डिग्री ली थी। वे बाल्यकाल स्वयंसेवक रहे। सिर्फ छह साल की अल्पायु में उन्होंने संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था। 1931 में शाखा में उनका प्रवेश हुआ था जिसके बाद 1939 में संघ शिक्षा प्रथम वर्ष से दीक्षित हुए थे। उसके बाद 1940 में द्वितीय वर्ष और 1941 में तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लिया था।
राष्ट्र निमित्त कार्यों के प्रति उनके समर्पण और तत्परता को देखते हुए 1950 में उन्हें प्रचारक बना दिया गया था। सबसे पहले वे कोलकाता के बड़ा बाजार शाखा में प्रचारक के तौर पर आए थे। उसके बाद पिछले 72 साल से पश्चिम बंगाल में संघ के राष्ट्र निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाते रहे। मूल रूप से मराठी होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में संघ के कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए वे बंगाल की सभ्यता और संस्कृति में रच बस गए थे। वह कोलकाता महानगर के प्रचारक के साथ ही प्रांत संपर्क प्रमुख, प्रांत प्रचारक, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख और क्षेत्र प्रचारक जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया था।
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