देश के लिए 32 सालों की लंबी सेवा देने के बाद भारतीय नौसेना जहाज (INS Ajay) को सोमवार (19 सितंबर) को नौसेना से सेवामुक्त किया गया है। जिसको लेकर दक्षिण मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं के 400 से ज्यादा कर्मियों की मौजूदगी में आईएनएस अजय को डी-कमीशन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में फ्लैग ऑफिसर, भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना और भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
आईएनएस अजय के डी-कमीशन कार्यक्रम में नौसेना के पश्चिमी कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इसी के साथ-साथ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जहाज के पहले कमांडिंग ऑफिसर वाइस एडमिरल एजी थपलियाल (सेवानिवृत्त) थे। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद लोगों को आईएनएस अजय द्वारा देश की सुरक्षा में प्रदान की गई सेवाओं पर प्रकाश डाला गया।
आईएनएस अजय ने सन 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार के तहत पाकिस्तान के पसीने छुड़ा दिए थे। वहीं सन 2001 में ऑपरेशन पराक्रम और सन 2017 में उरी हमले जैसे प्रमुख अभियानों में उसे तैनात किया गया था।
अपनी सेवा के दौरान आईएनएस अजय ने महाराष्ट्र नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग के संचालन नियंत्रण के तहत 23वें पेट्रोल वेसल स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में काम किया। इसी के साथ-साथ आईएनएस अजय ने अपने 32 साल की सर्विस के दौरान पनडुब्बी रोधी अभियानों में बेहद सक्रिय भूमिका निभाते हुए, देश के समुद्री तट की सुरक्षा में अपने प्रमुख कर्तव्य का सफलतापूर्वक निर्वहन किया था।
भारतीय नौसेना के साथ अपने शानदार कार्यकाल के दौरान आईएनएस अजय ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार, 2001 में ऑपरेशन पराक्रम और 2017 में उरी हमले के बाद कई ऐसे महत्वपूर्ण अवसरों पर आईएनएस अजय को तैनात किया गया। जिसके बाद आईएनएस अजय ने दुस्साहस करने वाल विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
भारतीय नौसेना के इस पोत P34 का नाम आईएनएस अजय नाम दिया गया था। जो लंबी दूरी के टॉरपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेटों जैसे हथियारों से लैस था।
आईएनएस अजय ने लगातार देश के लिए 32 सालों तक अपनी सेवा दी।
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