प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस (17 सितंबर) पर देशभर में अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी दिन प्रधानमंत्री नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो अभ्यारण्य में छोड़ेंगे, वहीं दिल्ली से 40 मोची वाराणसी जाएंगे। इसके साथ ही सेवा से जुड़ी अनेक गतिविधियां होंगी।
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर कई ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं, जिनकी चर्चा देश-विदेश में हो रही है। इस कड़ी में एक विशेष कार्यक्रम यह हो रहा है कि दिल्ली के 40 मोची वाराणसी ले जाए जाएंगे। यह पहल पूर्व महापौर और भाजपा नेता श्याम सुन्दर अग्रवाल ने की है। वे स्वयं इन मोचियों को लेकर 17 सितंबर की सुबह इंडिगो की एक उड़ान से वाराणसी जाएंगे। ये लोग कुछ देर होटल में रुकेंगे और फिर विशेष बस से काशी विश्वनाथ मंदिर और संत रविदास मंदिर जाएंगे। इन्हें कोई असुविधा न हो, इसके लिए सारी व्यवस्था की ली गई है। मंदिरों में दर्शन-पूजन करने के बाद ये लोग शाम को गंगा आरती में भाग लेंगे। दूसरे दिन यानी 18 सितंबर को ये सभी वंदे भारत रेलगाड़ी से दिल्ली वापस आएंगे।
उपरोक्त सभी मोची दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर जूते-चप्पल की मरम्मत करते हैं। विश्वास नगर, कृष्णा नगर, लक्ष्मी नगर, गांधी नगर जैसे इलाकों में ये लोग सड़क के किनारे मोची का काम करते हैं। ये लोग जहां भी बैठते हैं, वहां यह सूचना भी लगा दी है, ‘‘वाराणसी जाने के कारण 17 और 18 सितंबर को दुकान बंद रहेगी।’’
इन मोचियों का कहना है कि प्रधानमंत्री के कारण उन्हें हवाई जहाज की यात्र करने का अवसर मिल रहा है। इन लोगों ने प्रधानमंत्री की लंबी आयु की भी कामना की है।
एक दूसरा अनूठा कार्यक्रम कूनो अभ्यारण्य में होगा। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो अभ्यारण्य में छोड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि इन चीतों को लाने के लिए विशेष विमान भेजा गया है। वह विमान पांच मादा और तीन नर चीतों को लेकर 17 सिंतबर को जयपुर पहुंचेगा। इसके बाद इन चीतों को हेलीकॉप्टर से कूनो अभ्यारण्य ले जाया जाएगा।
बता दें कि इस समय भारत में एक भी चीता नहीं है। वर्तमान में केवल ईरान में 20 एशियाई चीते हैं। 1947 में छत्तीसगढ़ में तीन चीतों का शिकार किया गया था। इसके बाद 1952 में भारत सरकार ने भारत में चीता को विलुप्त प्राणी घोषित कर दिया था। हालांकि इसके बाद भी कई बार बाहर से चीते मंगाने के प्रयास हुए, लेकिन किसी न किसी कारणवश यह मामला लटकता गया। 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को चीते मंगाने की अनुमति दे दी। इसके बाद भारत सरकार सक्रिय हुई और आज 75 वर्ष बाद एक बार फिर से भारत के लोग चीतों की गुर्राहट सुन पाएंगे।
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