कराची की सड़कों पर हाल में दिखी पुलिसिया बर्बरता ने सारी हदें लांघ दी हैं। पाकिस्तान की पुलिस ने बलूच महिलाओं को जिस तरह सड़कों पर घसीटा उससे इस बात में संदेह नहीं रह जाता कि यही वो देश है जहां महिलाओं पर अत्याचार चरम पर हैं।
देर से मिले समाचार के अनुसार, यह घटना तीन दिन पहले की है। कराची में बलूच महिलाएं अपने ‘लापता’ परिजनों की वापसी की मांग कर रही थीं कि पुलिस आई और प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं को सड़क पर घसीटते हुए हटाने लगी। दरअसल पड़ोसी इस्लामी देश में बलूच लोग न सरकार को, न सरकारी कारिंदों को भाते हैं। बलूच महिलाएं तो फौज और पुलिस की बर्बरता के निशाने पर रहती हैं। उन पर आएदिन अत्याचार हो रहे हैं। यही वजह है कि अपने लापता हुए परिजनों की रिहाई की मांग कर रहीं उन बलूच महिलाओं को एक बार फिर पुलिस का अत्याचारी चेहरा देखना पड़ा। पुलिस द्वारा उन्हें सड़क पर घसीटने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। (देखें वीडियो)
This is so called Islamic Republic of Pakistan.
Baloch women being dragged on the streets of Karachi for demanding release of Baloch missing persons.
Unfortunately Pakistan is member of UN. pic.twitter.com/t2GsPII6jk
— Ashraf Baloch (@imasbaloch) September 10, 2022
पाकिस्तान में बलूचिस्तान के साथ सौतेला व्यवहार होना कोई छुपी बात नहीं है। वहां आएदिन लोग लापता हो रहे हैं। मानवाधिकारी भी नारे लगा लगाकर थक गए हैं, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती। लगभग हर घर से कोई न कोई फौज की गिरफ्त में है। युवा तो खासकर ‘लापता’ होते आ रहे हैं। ऐसे ही अपने परिजनों की रिहाई की आस में बहरी सरकार को अपनी आवाज सुनाने के लिए जब ये महिलाएं कराची की सड़कों पर निकलीं तो पुलिस उन पर टूट पड़ी। कराची की सड़कों पर पुलिस ने इन महिलाओं को बर्बरता से घसीटा। बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता अशरफ बलूच का कहना है कि तथाकथित इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान यह जुल्म कर रहा है बलूचों पर।
अशरफ बलूच ने ट्वीट में लिखा कि ‘यह है तथाकथित इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान, जहां गुम हुए लोगों की रिहाई की मांग करने वाली महिलाओं को कराची की सड़कों पर घसीटा जाता है। बदकिस्मती से पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य है। नागरिक समाज की कोशिशों के बाद भी, पाकिस्तान में लोगों के जबरन लापता होने का मुद्दा वैसा ही बना हुआ है।’
बताया जाता है कि पाकिस्तान की फौज द्वारा करीब 8 हजार लोगों को लापता किया जा चुका है। कोई इस बारे में मुंह खोलता है तो उसके साथ सख्ती से पेश आया जाता है। बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता निशाने पर रहते हैं।
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