हांगकांग के एक जिला न्यायालय ने 5 डाक्टरों को सिर्फ इस ‘अपराध’ के लिए 19 महीने की सजा सुना दी क्योंकि वे बच्चों की स्पीच थैरेपी के साथ जिन किताबों का इस्तेमाल कर रहे थे उनमें कार्टून ‘आपत्तिजनक’ छापे गए थे। अदालत ने फैसला सुनाते हुए यहां तक कहा कि किताबों में विचारों के साथ जो तस्वीरें छापी गई हैं, उनका शहर में घटी घटनाओं से संबंध है।
पूरा मामला यह है कि हांगकांग पूरी तरह से चीन के शिकंजे में हैं और अगर वहां कुछ ऐसा होता है जिससे चीन के विरोध का भाव पैदा हो, तो वह स्वीकार्य नहीं हो सकता। लगभग इसी ‘अपराध’ के लिए वहां की जिला अदालत ने गत 9 सितंबर को स्पीच थैरेपी देने वाले पांच डॉक्टरों को सजा सुनाई है। इन डॉक्टरों पर बच्चों की ‘देशद्रोही सामग्री वाली किताबें’ छापने का षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए गए थे। इन डॉक्टरों को 19 महीने जेल दी गई है।
इस प्रकरण पर सीएनएन की रिपोर्ट बताती है कि जिन डाक्टरों को सजा दी गई है उनके नाम हैं-लोरी लाइ, मेलोडी येउंग, सिडनी एनजी, सैमुअल चौन और मार्को फोंग। इन पर न सिर्फ देशद्रोह वाली चीजें छापने, उन किताबों को बांटने का ही दोष मढ़ा गया है बल्कि किताबों का सार्वजनकि प्रदर्शन करने की साजिश रचने का भी दोषी ठहराया गया है। जज डब्ल्यू. के. क्वोक का कहना था कि ‘छोटे बच्चों को डाक्टर अपने विचारों तथा मूल्यों को स्वीकार करने के दोषी हैं। ये लोग बच्चों का मस्तिष्क परिमार्जन कर रहे थे’।
सजा दिए जाने के बाद एक डाक्टर को इस बात का अफसोस था कि उसने अपनी गिरफ्तारी से पहले और ज्यादा फोटो वाली किताबें क्यों नहीं छापीं। दरअसल उन पर लगे आरोप किताबों के उस खंड को लेकर हैं, जिसमें एक गांव के घर पर हमला करने वाले ‘भेड़ियों के एक झुंड के विरोध’ की कहानी को चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है। इसे लेकर सरकारी अभियोजकों का आरोप था कि बीजिंग में स्थानीय सरकार और चीन की केंद्र सरकार को अपमानित करने के लिए ऐसी साजिश रची गई थी।
मामले की सुनवाई कर रहे जज क्वोक का कहना था कि किताब में छपी ‘तस्वीरों का शहर की घटनाओं से संबंध’ था। यह पाया गया कि ‘इन किताबों के लेखकों का मंतव्य शहर का माहौल खराब करने’ का था। किताब की सामग्री से पता चलता है कि ये घृणा या अवमानना या असंतोष भड़काने के लिए थी। दरअसल जज के हिसाब से भेड़ियों के जरिए संकेत पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार की तरफ था।
जज के इस फैसले से अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे लोगों में गुस्सा पनपा है। ह्यूमन राइट्स वॉच का बयान है कि हांगकांग सरकार ने भाषण से जुड़े मामूली अपराधों पर सजा देने के लिए राजद्रोह कानून का प्रयोग किया है। सीएनएन की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि उक्त किताबों में 2020 की उस घटना का भी उल्लेख है, जिसमें 12 लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी स्पीडबोट से भाग रहे थे, लेकिन चीन के तटरक्षक बलों ने द्वारा पकड़ लिए गए थे।
टिप्पणियाँ