सामाजिक एकता, सांस्कृतिक जागरण और अपने धर्म के प्रति लोगों को जागरूक करने की दृष्टि से झारखंड के रामगढ़ में एक राम कथा हुई। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि सभी कथाकार महिलाएं थीं और उनमें भी अधिकतर जनजाति समाज की। कुछ कथाकार पिछड़े वर्ग की भी थीं। कथाकारों की संख्या 40 थी और ये सभी झारखंड के छह जिलों से आई थीं। मुख्य कथाकार थीं संगीता किशोरी। कथा का श्रीगणेश 25 अगस्त को हुआ और समापन 2 सितंबर को।
कथा प्रारंभ होने से पूर्व भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर नगर भ्रमण किया। पुष्पवर्षा करके स्थान-स्थान पर इनका स्वागत किया गया। इन कथाकारों ने नौ दिन तक रामगढ़ को राममय बना दिया। प्रतिदिन प्रात: 7-11 बजे तक रामायण का पाठ हुआ और सायं 4-8 बजे तक रामकथा हुई। दोनों समय सैकड़ों श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे।
कथा का आयोजन श्रीहरि सत्संग कथा समिति ने किया था। बता दें कि यह समिति एकल अभियान का हिस्सा है। एकल अभियान पूरे देश में 1,10,000 विद्यालयों का संचालन करता है। ये विद्यालय सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। यहां से पढ़-लिखकर निकलने वाले बच्चे आज अनेक क्षेत्रों में देश की सेवा कर रहे हैं।
ऐसे ही कुछ बच्चों को श्री हरि सत्संग कथा समिति कथाकार का प्रशिक्षण दिलवाती है। इसके लिए अयोध्या और वृन्दावन में प्रशिक्षण केंद्र हैं। रामगढ़ में कथा करने वालीं सभी कथाकार इन्हीं प्रशिक्षण केंद्रों से शिक्षित और दीक्षित हुई हैं। ये कथाकार सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित रूप से कथा और अन्य धार्मिक कार्यों को संपन्न करती हैं। इससे समाज की अनेक बुराइयां तो दूर होती ही हैं, इसके साथ ही उन तत्वों को पराजित होना पड़ता है, जो लोभ-लालच से हिंदुओं को कन्वर्ट करते हैं।
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