बलूचिस्तान में माधवदास मंदिर बना बाढ़ पीड़ितों का सहारा, मंदिर ने किया रहने-खाने का इंतजाम

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आलोक गोस्वामी

पाकिस्तान पिछले कुछ दिनों से जबरदस्त बाढ़ का सामना कर रहा है। अभी भी कई इलाके पानी में डूबे हैं। कहीं-कहीं से पानी उतरना शुरू तो हुआ है, लेकिन वहां हालात रहने लायक नहीं हैं। सिंध और बलूचिस्तान के भी काफी स्थान पानी से सराबोर हैं और लोग सिर छुपाने की जगह और पेट भरने के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। ऐसे में बलूचिस्तान के एक गांव का मंदिर तारणहार बनकर उभरा है। वहां सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों को न सिर्फ ठहरने की जगह दी गई है, बल्कि उनके लिए भोजन आदि के इंतजाम भी किए गए हैं।

जबरदस्त बाढ़ से बेघर हुए लोगों, जिनमें अधिकांश मुस्लिम परिवार हैं, को अपने यहां पनाह देने वाला गांव का ये मंदिर है माधव दास मंदिर। प्राप्त समाचारों के अनुसार, मंदिर में सौ से ज्यादा कमरों में इन लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। माधव दास इलाके का प्रसिद्ध मंदिर है जहां हर साल बलूचिस्तान तथा सिंध से बड़ी तादाद में तीर्थयात्री आते हैं। वहां आई भारी बारिश से माधव दास मंदिर को भी नुकसान पहुंचा है। लेकिन गनीमत ये है कि मंदिर के बुनियादी ढांचे पर खास असर नहीं पड़ा है। यही वजह है, कि यहां के कमरे बाढ़ पीड़ितों की सेवा के खोले गए हैं।

पाकिस्तान में आई भयंकर बाढ़ से करोड़ों लोग मुसीबत झेल रहे हैं। करीब 1100 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। गांव के गांव तबाह हो चुके हैं। ऐसी भयानक आपदा के वक्त बलूचिस्तान के कच्छी जिले में बना ये मंदिर उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।

मंदिर के अंदर संत माधव दास की प्रतिमा के सामने भजन-कीर्तन में तल्लीन भक्तगण (फाइल चित्र)

बलूचिस्तान का कच्छी जिला भी इस बाढ़ से बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहीं का जलाल खान गांव भी इसके कहर से अछूता नहीं रहा है। बड़ी संख्या में लोग बेघर हो चुके हैं। मुसीबत के इस दौर में जलाल खान गांव का ये मंदिर मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सुर्खियां बटोर रहा है। इसने ने सिर्फ स्थानीय मुस्लिम परिवारों, उनके मवेशियों को सहारा दिया है बल्कि उनकी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी कर रहा है।

वहां से आ रहे समाचार देखें तो ये जलाल खान गांव भी नारी, बोलन और लहरी नदियों के उफान की वजह से सूबे के दूसरे इलाकों से कट चुका है। जबरदस्त बाढ़ में लोगों के कोई और ठौर नहीं रहा, ऐसे में इस मंदिर ने मुसीबत में फंसे परिवारों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। उल्लेखनीय है एक ऊंचे स्थान पर इस मंदिर का निर्माण आजादी से भी बहुत साल पहले संत बाबा माधवदास ने करवाया था। ऊंचाई पर होने की वजह से यह बाढ़ से अछूता रहा है। इन दिनों मंदिर की व्यवस्था रतन कुमार देख रहे हैं। मंदिर में टिके परिवारों की देखभाल वहीं के हिन्दू कर रहे हैं।

यह उसी पाकिस्तान में बने मंदिर की दास्तान है जहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। उनकी बेटियों को अगवा करके जबरन कन्वर्ट किया जा रहा है, कलमा पढ़वाकर निकाह किया जा रहा है। ऐसे में भी सनातन धर्म में आस्था रखने वाले हिन्दू धर्म मार्ग पर चल रहे हैं। किसी भी मत-पंथ के भेद से परे, वे मानवता की सेवा कर रहे हैं।

 

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