पटना में राजद के मुस्लिम गुंडों ने थाने पर किया हमला। इसके बाद भी मुख्य अभियुक्त को सरकार बचा रही थी, लेकिन लोगों ने ऐसा दबाव डाला कि असफर अहमद को पुलिस ने पकड़ा। वहीं दूसरी ओर सिवान में मुसलमानों ने मस्जिद से हिंदुओं पर किया हमला।
‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार का ‘जनता राज’ एक बार फिर सवाल के घेरे में है। जनता राज की स्थिति यह है कि पहले के जंगलराज में अपराधी पुलिस की पिटाई बिहार के दूरदराज के जिलों में करते थे। परंतु अब तो अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि राजधानी पटना के बीचोबीच मुस्लिम समुदाय के इलाके में पुलिस के ऊपर हमला किया जा रहा है। दौड़ा-दौड़ाकर उन्हें पीटा जा रहा है। भाजपा के विधायक बचौल ने कहा है कि तुष्टीकरण का ही नतीजा है कि जिहादी तत्व अपराधी को बचाने के लिए पुलिस पर भी हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
वर्तमान मामला पटना के पीरबहोर थाना का है। पीरबहोर थाना पटना का प्रमुख थाना है। इसी में पटना का बहुचर्चित पटना मार्केट, पटना विश्वविद्यालय, सब्जीबाग समेत कई क्षेत्र आते हैं। इसी थाना पर वार्ड 40 के निवर्तमान पार्षद असफर अहमद ने हमला कर अपने गुर्गों को छुड़ाने की कोशिश की थी। असफर पर आरोप है कि उसने 8 सितंबर की रात पीरबहोर थाने में घुसकर डीएसपी और इंस्पेक्टर से धक्कामुक्की की थी। असफर ने राजद सरकार का हवाला देते हुए इनकी वर्दी उतरवाने की भी धमकी दे डाली थी।असफर बहुचर्चित कबाब मंत्री के नाम से ख्यात अनवर अहमद का बेटा है। राजद के पूर्व एमएलसी अनवर अहमद ने भी अपने गुर्गों के साथ थाने पर हंगामा किया था।
क्या है पूरा मामला
इस पूरे हंगामे की शुरुआत गुरुवार 8 सितंबर को हुई। 1997 में सरस्वती पूजा के जुलूस के समय खुर्शीद नामक एक व्यक्ति की हत्या हो गई। सरस्वती पूजा से जोड़कर इस मामले का अभियुक्त छात्रों को बनाया गया था लेकिन पुलिस की जांच में पता चला कि लंगरटोली के भाइयों टुल्लू खान और गुल्लू खान ने यह हत्या की है। ये दोनों भाई पिछले 25 वर्ष से इस मामले में फरार चल रहे थे। सरकारें बदलती रहीं लेकिन ये दोनों भाई पुलिस की गिरफ्त में नहीं आते थे। अंततः 28 अगस्त को टुल्लू खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस दिन भी असफर ने 50 लोगों के साथ थाने पर पहुंचकर टुल्लू को छुड़ाने के लिए हंगामा किया था। लेकिन पुलिस ने उसकी पहुंच और राज्य सत्ता के बदलते समीकरण को देखते हुए उसे जाने दिया।
8 सितंबर की रात पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि गुल्लू खान पटना मार्केट के इमाम प्लाजा के पास अपने गुर्गों के साथ बैठा है। लेकिन वह नहीं मिला। पुलिस जब लौट रही थी तो 4 संदिग्ध भागने लगे। उसमें 2 पुलिस की पकड़ में आ गए। इसके बाद उपद्रवियों ने हंगामा करके इनको छुड़ा लिया। सिपाही सुभाष के साथ मारपीट की गई और हथियार छीनने की कोशिश भी की गई। इस मामले में जब पुलिस ने सरफराज को गिरफ्तार किया तो असफर गुस्से में थाना पंहुचा और हंगामा करने लगा। उसने थाने में पुलिस अधिकारियों के साथ बदसलूकी की। यहीं नहीं, उसने अधिकारियों को देखा लेने की धमकी दी। डीएसपी और इंस्पेक्टर के साथ वाली घटना भी यही घटित हुई थी। 9 सितंबर को पुलिस ने असफर के ऊपर केस दर्ज किया। जब इसकी जानकारी पूर्व विधान पार्षद को हुई तो वह भी सदलबल थाने पंहुचे।
बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य अनवर अहमद का घर पीरबहोर थाना के ठीक सामने सब्जीबाग इलाके में है। अनवर अहमद पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में मदर इंटरनेशनल स्कूल भी चलाते हैं। 2015 में अनवर अहमद उस समय काफी चर्चा में आए, जब मोतिहारी के एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने हाथ से लालू यादव को जूते पहनाए। 90 के दशक में लालू जब मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब अनवर अहमद लालू के किचन कैबिनेट का हिस्सा हुआ करते थे। सियासी हलकों में उन्हें कबाब मंत्री के नाम से जाना जाता था। तब लालू यादव को मांसाहारी भोजन का काफी शौक हुआ करता था। अनवर अहमद की जिम्मेदारी होती थी कि वो लालू यादव के लिए स्वादिष्ट मांसाहारी भोजन का इंतजाम करें।
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि ‘लालू के कबाब मंत्री’ को पुलिस ने पीरबहोर थाने से छोड़ दिया। राजद समर्थकों ने थाने में घुसकर पुलिसकर्मियों की पिटाई की; यही ‘जनता राज’ है? नीतीश कुमार सत्ता के लिए ऐसे दल से मिल गए, जिसके आधा दर्जन से ज्यादा विधायक हत्या, अपहरण, बलात्कर और भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में अभियुक्त या सजायाफ्ता हैं।’ सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘जनता राज’ वाली टिप्पणी पर कहा कि ‘जहां कानून की नजर में वंछित अभियुक्त को कानून मंत्री बनाया गया, फिर उसे इस्तीफा देते ही गिरफ्तार करने के बजाय फरार होने का मौका दिया गया, वहां क्या ‘जनता राज’ हो सकता है?’
इस मामले में सरकार की बहुत बदनामी हुई। स्वयं मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई और अंततः 10 सितंबर को असफर को जेल जाना पड़ा। पुलिस ने असफर के अलावा सरफराज समेत 13 नामजद और 100 अज्ञात पर केस दर्ज किया है।
उधर सिवान में हिंदुओं के एक जुलूस पर मुसलमानों ने मस्जिद से हमला किया है। खास बात यह रही कि इस हमले में महिलाओं और बच्चों ने भी हिस्सा लिया।
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