पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता बीबी लाल का शनिवार को निधन हो गया। बीबी लाल को भारत का सबसे वरिष्ठ आर्कियोलॉजिस्ट माना जाता था। वह 100 साल की उम्र में भी आर्कियोलॉजी से जुडे़ शोधों में और इसके लेखन में सक्रिय थे। पुरातत्वविद् बीबी लाल ने अनेक ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की खुदाई की, जिसमें सबसे अधिक ख्याति अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचे की नींब में भगवान राम का मंदिर होने की खोज के लिए मिली थी। प्रोफेसर बृजबासी लाल के निधन पर पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृति और पुरातत्व में उनका योगदान अद्वितीय है। प्रधानमंत्री ने बीबी लाल के साथ मुलाकात की अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, “बीबी लाल एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे। संस्कृति और पुरातत्व में उनका योगदान अद्वितीय है। उन्हें एक महान बुद्धिजीवी के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने हमारे समृद्ध अतीत के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा किया। उनके निधन से आहत हूं। मेरे विचार उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं।”
वहीं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ब्रजबासी लाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान पुरातत्वविद को खो दिया। शाह ने शनिवार को ट्वीट कर एक शोक संदेश में कहा, “एएसआई के पूर्व महानिदेशक ब्रजबासी लाल जी ने भारत के अनेक प्राचीन संरचनात्मक अवशेषों की खोज कर देश के गौरवशाली इतिहास को विश्व के सामने रखने में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके निधन से देश ने एक महान पुरातत्वविद को खो दिया है। प्रभु दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति”
बीबी लाल का जन्म झांसी जिला के बैडोरा गांव में 02 मई 1921 को हुआ था। उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक के रूप में सेवा शुरू की। बीबी लाल को साल 2000 में पद्मभूषण के सम्मान से नवाजा गया था। इसके बाद 2021 में पद्मविभूषण का भी सम्मान दिया गया था।
बीबी लाल ने महाभारत और रामायण से जुड़ी साइट्स के साथ-साथ सिंधु घाटी और कालीबंगन पर भी खूब काम किया था। उनके काम से जुड़ी तमाम किताबें और सैकड़ों रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। बीबी लाल 1968 से 1972 तक भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के डायरेक्टर रहे। इसके अलावा वह यूनेस्को की विभिन्न समितियों में भी शामिल रहे थे। साल 1944 में सर मोर्टिमर व्हीलर ने उन्हें तक्षशिला में ट्रेनिंग दी थी।
रामजन्मभूमि के सबूत खोद कर निकालने
प्रो. बीबी लाल की चर्चा सबसे अधिक राम मंदिर के सबूतों को उजागर किए जाने को लेकर होती रही है। उन्होंने बाबरी मस्जिद की नींव राम मंदिर पर खड़ा किए जाने की बात कही थी। अपने इस रिसर्च से वे इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। दरअसल, राम मंदिर का मामला सैकड़ों साल पुराना था। मुगल काल में राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाए जाने की बात कही गई। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. एके नारायण ने 60 के दशक में पहली बार अयोध्या के आर्कियोलॉजिकल सर्वे का काम शुरू कराया गया। यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। इसके बाद खुदाई का काम बीबी लाल ने अपने हाथ में लिया। यहां से प्राचीन वस्तुएं मिलने पर इसकी जानकारी उन्होंने बीएचयू प्रशासन को दी। इन्हीं पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में साबित हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर था।
संरचना के सिद्धांत के साथ रखा था तर्क
प्रो. बीबी लाल ने बाबरी मस्जिद की खुदाई के बाद संरचना के सिद्धांत के साथ अपने तर्क पेश किए थे। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर जैसी संरचना थी। इस सिद्धांत ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान काफी सुर्खियां बटोरी थी। उनका रिसर्च पेपर ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु : साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान के साक्ष्य’ ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थी। भगवान राम के प्रति उनका लगाव ही था कि उन्होंने रामायण से जुड़े स्थलों का उत्खनन कराया और कई ऐतिहासिक दस्तावेज दुनिया के सामने रखे। ‘सरस्वती प्रवाह पर : भारतीय संस्कृति की निरंतरता’ जैसे शोध ने आर्कियोलॉजी के शोधार्थियों को भविष्य के शोध की राह दिखाई। अपने करियर के दौरान उन्होंने 50 से अधिक किताबें लिखी। 150 से अधिक शोध पेपर का प्रकाशन कराया।
प्रो. बीबी लाल ने रामायण से जुड़े स्थलों पर भी शोध शुरू किया। वर्ष 1975 में उन्होंने एएसआई, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर और यूपी सरकार के पुरातत्व विभाग की ओर से शुरू की गई ‘रामायण स्थलों के पुरातत्व’ परियोजना पर काम शुरू किया। परियोजना के तहत उन्होंने अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, नंदीग्राम, चित्रकूट और श्रृंगवेरापुरा जैसे रामायण से संबंधित पांच स्थलों की खुदाई कराई थी। इस दौरान उन्होंने अहम तथ्य दुनिया के सामने रखे थे।
प्रो. लाल ने रामायण में संदर्भ वाले कुछ स्थलों के सर्वे के लिए 1975 और 1976 के बीच प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया था। टीम में 9 सदस्य थे, जिनमें से 5 पुरातत्वविद प्रो. लाल, डॉ केपी नौटियाल, एसके श्रीवास्तव, आरके चतुर्वेदी और केएम अस्थाना जीवाजी विश्वविद्यालय से थे। इस टीम में महदावा एन कटी, एलएम वहल और एमएस मणि नाम के 3 सदस्य एएसआई से थे। यूपी पुरातत्व विभाग से हेम राज टीम से जुड़े थे। प्रो. लाल के अनुसार, रामायण से जुड़े पांच स्थलों अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरापुर, भारद्वाज आश्रम और चित्रकूट में खुदाई की गई थी।
प्रो. लाल ने बाबरी ढांचे के ठीक दक्षिण में क्षेत्र की खुदाई करते समय स्तंभ मिलने के प्रमाण दिए थे। उन्होंने बाबरी ढांचे के पास स्तंभ आधारों की खोज के बारे में सात पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट लिखी थी। हालांकि, खोज के बाद क्षेत्र से सभी तकनीकी सुविधाओं को वापस ले लिया गया और परियोजना को रोक दिया गया था। प्रो. लाल के बार-बार अनुरोध के बावजूद इसे फिर से शुरू नहीं किया गया और 10-12 साल तक बंद रहा। अंतिम रिपोर्ट कभी प्रस्तुत नहीं की गई थी।
हालांकि, उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की ओर से 1989 में रामायण और महाभारत की ऐतिहासिकता पर अपने खंड में प्रकाशित की गई थी। एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों में बबडी संरचना का पता लगाने में बीबी लाल का बड़ा योगदान था, जो राम मंदिर के समर्थन में एक प्रमुख तर्क था। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इन तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद मंदिर के पक्ष में ही फैसला सुनाया।
किताब पर छिड़ गई थी बहस
‘राम, हिज हिस्टोरिसिटी, मंदिर एंड सेतु : एविडेंस ऑफ लिटरेचर, आर्कियोलॉजी एंड अदर साइंसेज’ किताब के जरिए प्रो. बीबी लाल खासी चर्चा में आए थे। वर्ष 1990 में उन्होंने दावा किया कि बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर जैसे स्तंभ मिले हैं। उन्होंने अपने रिसर्च के आधार पर दावा किया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की नींव मंदिर रखी होगी। किताब में प्रो. लाल ने लिखा है कि बाबरी मस्जिद के नीचे पत्थर के 12 स्तंभ उन्होंने खुदाई में पाए। ये स्तंभ मस्जिद संरचना सिद्धांत के बिल्कुल उलट थे। इन स्तंभों पर विशिष्ट हिंदू रूपांकन थे। मोल्डिंग और हिंदू देवताओं की आकृति भी उन्होंने देखे जाने का दावा किया। उन्होंने किताब में अपने रिसर्च के आधार पर दावा किया कि ये स्तंभ मस्जिद के अभिन्न अंग नहीं थे। ये स्तंभ मस्जिद से बिल्कुल अलग थे।
2021 में पद्म विभूषण से हुए सम्मानित
प्रो. बीबी लाल को वर्ष 2021 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक पद पर रह चुके प्रो. लाल को लेकर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था कि उनकी खुदाई में पुरापाषाण काल से लेकर प्रारंभिक ऐतिहासिक कालीबंगा, अयोध्या, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ तक बहुत विस्तृत श्रृंखला शामिल है। उन्होंने कई ऐतिहासिक तथ्यों को जनता के बीच रखा।
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