संस्कृत के बहाने संस्कृति पर निशाना! अब सेकुलरों को केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत प्रार्थना पर एतराज
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संस्कृत के बहाने संस्कृति पर निशाना! अब सेकुलरों को केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत प्रार्थना पर एतराज

न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि विद्यालयों में ली गई नैतिक मूल्यों की शिक्षा और पाठ जीवनभर हमारे साथ ही रहते हैं

by WEB DESK
Sep 8, 2022, 01:00 pm IST
in भारत, विश्लेषण
प्रतीकात्‍मक चित्र

प्रतीकात्‍मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत में केंद्रीय विद्यालयों में एक लंबे समय से सुबह की प्रार्थना संस्कृत और हिन्दी में होती आई है। लेकिन अब इसे लेकर सवाल उठाया गया है कि क्या ऐसा करना सब छात्रों के लिए अनिवार्य होना चाहिए? कल सर्वोच्च न्यायालय में इस विषय पर चली चर्चा में कई बिंदु उभर कर आए हैं।

दरअसल सर्वोच्च न्यायालय में इस संबंध में याचिका दायर की गई है जिस पर न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी के सामने चली चर्चा में एक मौके पर स्वयं न्यायमूर्ति बनर्जी ने बताया कि उन्हें आज भी अपने स्कूल की प्रार्थना सभा में सबका साथ खड़े होकर प्रार्थना करना याद है। यह बात सही है। ईसाई मिशनरी विद्यालयों को छोड़ दें तो लगभग सभी विद्यालयों में सुबह की प्रार्थना में सरस्वती वंदना ‘या कुंदेन्दुतुषाार हार धवला…’ और ‘कराग्रे वसते लक्ष्मी….’ जैसे ष्लोक उच्चारित होते आ रहे हैं।

न्यायमूर्ति बनर्जी की बात पर चर्चा के अंदाज में याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी के अभिभावक को इस पर आपत्ति है और उसने अपील की है कि संस्कृत और हिन्दी वाली प्रार्थना की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए।

इस पर न्यायमूर्ति बनर्जी का कहना था कि विद्यालयों में ली गई नैतिक मूल्यों की शिक्षा और पाठ पूरे जीवन हमारे साथ ही तो रहते हैं। अब तक याचिका पर बहस एक चर्चा में बदल चुकी थी जिससे कई दिलचस्प बिंदु उभर कर आए। याचिका दायर करने वाली केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ रहे एक बच्चे की मां की तरफ से प्रस्तुत वकील गोंजाल्विस की आगे दलील थी कि अदालत के सामने हमारी अपील एक खास प्रार्थना के संबंध में है, जो सबके लिए समान नहीं हो सकती। कारण, सबकी पूजा पद्धति अलग है। जैसे वह जन्म से ईसाई हैं, लेकिन बेटी हिंदू धर्म को मानती है। आखिर में न्यायमूर्ति बनर्जी ने इस मामले की सुनवाई 8 अक्तूबर के लिए तय कर दी है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले अदालत ने जनवरी 2019 में एक पीआईएल पर केंद्र से जवाब तलब किया था कि क्या केंद्रीय विद्यालयों में रोज सुबह की प्रार्थना हिंदुत्व को बढ़ावा देना है? सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय विद्यालय संगठन को भी नोटिस जारी किया था और इस पर जवाब दाखिल करने को कहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर टिप्पणी करते हुए इसे ‘बड़ा गंभीर संवैधानिक मुद्दा’ बताते हुए विचार करने की आवश्‍यकता जताई थी।

दरअसल याचिका में कहा गया था कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से ही सुबह की प्रार्थना संस्कृत तथा हिंदी में सुबह की प्रार्थना हो रही है। कहा गया कि यह ‘नितांत असंवैधानिक’ है और संविधान के अनुच्छेद 25 तथा 28 के विरुद्ध है। ऐसा करने की आज्ञा नहीं दी जा सकती।
लगता यह है कि पिछले कुछ वर्षों से ‘हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रति एक वितृष्‍णा का भाव दर्शाना सेकुलर होने का मापदंड मान लिया गया है’। केंद्रीय विद्यालयों में सुबह-सुबह ईश स्मरण, वैदिक ष्लोकों का गान भी अब उन सेकुलरों को चुभने लगा है। याचिका में इसी बात पर आपत्ति है कि ये श्‍लोक क्यों बुलवाए जाते हैं। उधर अदालत ने केन्द्र सरकार और केन्द्रीय विद्यालय संगठन से ही पूछा था कि रोजाना सुबह केन्द्रीय विद्यालयों में होने वाली इस हिंदी तथा संस्कृत की प्रार्थना से किसी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा मिल रहा है क्या? अदालत का कहना था कि इसकी जगह कोई सर्वमान्य प्रार्थना क्यों नहीं कराई जाती!

याचिकाकर्ता विनायक शाह के बच्चे केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हैं। देश के 1125 केंद्रीय विद्यालयों की प्रार्थना में वैदिक श्‍लोक शामिल हैं। ऐसे भी श्‍लोक हैं जिनमें एकता और संगठित होने का आह्वान है…‘संगच्छध्वं संवदध्वं….’। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में प्रस्तुत हुए देवदत्त कामत का कहना था कि यह तय है कि अगर संवैधानिक मुद्दों का मामला हो तो इसे पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने जाना चाहिए। क्योंकि ये मामला सिर्फ किसी कानून या कायदे के उल्लंघन का नहीं है। अभी तक मामले की सुनवाई दो न्यायाधीशों की पीठ कर रही थी।

अंततः सर्वोच्च न्यायालय की दो जजों की पीठ ने कहा था कि इस विषय को संविधान पीठ के सामने जाना चाहिए। क्योंकि यह धार्मिक महत्व का विषय है, दो जजों की पीठ ने इसे उचित पीठ के गठन के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया है।

दोनों प्रकरणों से एक बात साफ होती है कि असल आपत्ति वैदिक श्‍लोकों या संस्कृत में प्रार्थना से नहीं है, देश में खुद को सेकुलर दिखाने की होड़ में जुटे तत्व हर वह कोशिश करते हैं कि जिससे यहां की संस्कृति आहत हो, देश के बहुसंख्यक समाज को चोट पहुंचे। न्यायमूर्ति बनर्जी की टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है कि हम जो विद्यालय में सीखते-पढ़ते हैं वह जीवन भर साथ रहता है। लेकिन विद्यालयों को भी राजनीति का अखाड़ा बनाने वाले तत्व इस बात का मर्म नहीं समझ सकते, इसके लिए सही समझ और चीजों को तटस्थता के साथ देखने की आवश्‍यकता होती है।

 

Topics: secularPIL#SupremeCourtdharmakendriyavidhyalayaprayerpsedosecular
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

श्रीलंकन एयरलाइन के इस पांच मिनट के वीडियो को देखकर लोग आनंदित महसूस कर रहे हैं

यह है ‘कनेक्शन’ रामायण, श्रीलंका की विमान सेवा और भारत का! गजब के विज्ञापन ने जीता सबका दिल

आज भी कांग्रेसियों को है सावरकर का डर!

Uttarakhand high court order police to remove Loud speaker from the mosque

उत्तराखंड: पुलिस प्रशासन ने नहीं उतारे मस्जिद से लाउडस्पीकर, हाई कोर्ट हुआ नाराज

पहचान छिपाने और दिखाने का खेल

Supreme court decision

महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से सभी हितधारकों को बात करने को कहा

शरिया कानून को चुनौती

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

बौखलाए पाकिस्तान ने दागी रियाशी इलाकों में मिसाइलें, भारत ने की नाकाम : जम्मू-पंजाब-गुजरात और राजस्थान में ब्लैकआउट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies