दुमका में जनजातीय युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में एक बार फिर प्रशासन की ओर से बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। यहां दो नाबालिग युवतियों (पहली अंकिता और दूसरी जनजातीय युवती) की हत्या के समाचार को पाञ्चजन्य ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस खबर पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की ओर से त्वरित जांच के आदेश दिए गए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा था कि वो खुद भी 5 सितम्बर को पीड़ित परिवार से मिलने आएंगे। लेकिन यहाँ भी प्रसाशन की लापरवाही देखने को मिली। उनके पहुंचने से पहले ही पीड़ित परिवारों में से एक परिवार के लोगों को उनके घर से कहीं भेज दिया गया।वह परिवार था उस युवती का, जिसको मार कर पेड़ से टांग दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि पीड़ित परिवार को भगाने के पीछे स्थानीय प्रशासन का हाथ है।
प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कहा कि दो नाबालिग बच्चियों की बर्बरता पूर्ण हत्या मामले की जांच के लिए वे दुमका पहुंचे थे। इसकी सहमति प्रशासन की ओर से भी दी गई थी। इसके बाद भी अंकिता के परिवार वालों से मुलाकात हुई, लेकिन बलात्कार के बाद मार दी गई जनजातीय बच्ची का परिवार यहां नहीं मिला। पड़ोसियों के अनुसार उन्हें सुबह में ही किसी ने जीप में बैठाया और कहीं ले गया। उन्होंने इस पूरे मामले पर प्रशासन द्वारा असहयोग करने का भी आरोप लगाया है।
उन्होंने यह भी बताया कि दोनों प्रकरण में प्रसाशन की भारी लापरवाही देखने को मिल रही है । उन्होंने दोनों मामले में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नूर मुस्तफा को जांच से हटाने का निर्देश दिया है।
बता दें कि प्रसाशन की ओर से जनजातीय परिवार को सुरक्षा भी दी गई थी, उसके बावजूद इस परिवार का अपने घर पर ना मिलना कई सवालों को खड़ा कर रहा है। क्या इसे
प्रसाशनिक लापरवाही नहीं मानी जाएगी? कौन है जो इनके अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रहा है?
आपको बता दें कि 2 सितंबर को श्रीअमड़ा में एक 14 वर्षीय नाबालिग युवती की हत्या अरमान अंसारी के द्वारा महीनों तक शोषण करने और गर्भवती हो जाने के बाद की गई थी। इससे पहले दुमका में ही 28 अगस्त को नाबालिग युवती अंकिता की हत्या शाहरुख और नईम के द्वारा जिंदा जलाकर कर दी गई थी। दोनों नाबालिगों की हत्या के बाद पूरे देशभर में आक्रोश देखा गया। अंकिता के मामले में तो वहां के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नूर मुस्तफा पर ही अपराधियों को बचाने का आरोप लग रहा है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष को पीड़ित परिवार से ना मिलने देने के पीछे भी कोई बड़ी साजिश हो सकती है।
इन दोनों मामलों को लेकर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में जबसे हेमंत सरकार आई है तब से जिहादियों और कट्टरपंथियों का मनोबल सातवें आसमान पर है और वे लोग खुलकर झारखंड की हिंदू बेटियों को रणनीति के तहत निशाना बना रहे हैं। आखिर इन जेहादियों को क्यों बचाना चाह रही है झारखंड सरकार?
इस मामले पर पूरे प्रदेश में जगह-जगह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला भी फूंका जा रहा है। दुमका में कई जनजातीय और हिंदू संगठनों की ओर से बंदी का ऐलान किया गया है।
आश्चर्य की बात ये है कि झारखंड में हर दिन एक नाबालिग बच्ची या महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं देखी जा रही हैं, लेकिन आज वर्षों से झारखंड में ना तो बाल आयोग का गठन हो पाया है और ना ही महिला आयोग का।
प्रियंक कानूनगो ने भी इस बात पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर यही स्थिति रही तो झारखंड की बेटियों को न्याय कैसे मिलेगा और कौन दिलाएगा?
बता दें कि 4 सितंबर को बाबूलाल मरांडी पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए खुद दुमका गए हुए थे। उन्होंने भी इन परिवारों को न्याय दिलाने की बात कही थी। 5 सितंबर को प्रियंक कानूनगो के ट्वीट के बाद बाबूलाल मरांडी ने फिर से सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के द्वारा की जा रही जांच में बाधा डालना पूरी तरह से अनैतिक और असंवैधानिक है। आखिर झारखंड सरकार सच्चाई क्यों नहीं सामने आने देना चाहती है?
वहीं दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी ने बताया है कि दुमका का बहुत बड़ा क्षेत्र बांग्लादेशी और जिहादियों के कब्जे में जा चुका है। यहां बांग्लादेशी घुसपैठियों का बहुत बड़ा गिरोह काम कर रहा है । उनके निशाने पर झारखंड की बेटियां हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ये घुसपैठिये लव जिहाद और कन्वर्जन में भी लगे हैं। लुईस मरांडी ने यह भी बताया कि दुमका से पाकुड़ के रास्ते बांग्लादेश नजदीक होने की वजह से वहां पर बांग्लादेशियों का आवागमन बेरोकटोक जारी है। राज्य में चोरी, छिनतई और कई आपराधिक घटनाओं में भी इन्हीं बांग्लादेशियों का हाथ है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन बांग्लादेशी घुसपैठियों का साथ अप्रत्यक्ष रूप से वर्तमान राज्य सरकार और प्रशासन ही दे रहा है। तभी तो एक के बाद एक कई अपराध होते जा रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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