गत अगस्त को नई दिल्ली में ‘उत्कर्ष’ नाम से एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र और संस्कार भारती, दिल्ली प्रांत के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य था— राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कला शिक्षकों को विकसित करना। कार्यशाला के पांच सत्र थे।
‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र’ की निदेशक हेमलता एस. मोहन ने सांस्कृतिक मूल्यों में निहित शिक्षा को वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। तो डॉ. ज्योत्सना तिवारी ने आसपास के विद्यालयों में पढ़ाने वाले कला शिक्षकों को ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए एक समूह बनाने का सुझाव दिया।
बनारस हिंदू विवि के प्राध्यापक प्रो. प्रमोद कुमार दुबे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल प्राचीन भारत की परंपराओं के बारे में जानकारी दी। वहीं विख्यात बांसुरी वादक चेतन जोशी ने भारत के साथ-साथ पश्चिम जगत के कला संबंधी ज्ञान को साझा किया।
कार्यशाला के समापन पर संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति अतीत की भारतीयता से जुड़े मूल्यों को समाहित करते हुए भविष्य के भारत की नींव रखने वाली नीति है।
जैसे हम अपनी भावी पीढ़ी की उन सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जिसका अभाव हमारे जीवन में रहा। वैसे ही हमारे पास जो ज्ञान संपदा है, उसे भी हमें अपनी भावी पीढ़ी को सौंपना चाहिए। कार्यशाला में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लगभग 100 कला शिक्षकों ने भाग लिया।
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