इन दिनों झारखंड में आम लोगों के बीच दो मुद्दों पर चर्चा होती है। एक है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार। लोग कहते सुने जा रहे हैं कि हेमंत को अपने किए की सजा मिलनी चाहिए। यानी उनकी सरकार गिरनी चाहिए। दूसरा है जिहादी तत्वों की हरकत। इस मुद्दे पर तो झारखंड के लोग बहुत चिन्तित और दुखी हैं।
झारखंड का कोई हिस्सा ऐसा नहीं है, जहां जिहादी तत्वों की बदमाशी न हो रही हो। अभी दुमका और रांची की घटना की चर्चा बंद भी नहीं हुई थी कि गढ़वा में फिर एक जिहादी हरकत हो गई।
गढ़वा थाना क्षेत्र के ओबरा गांव में हाशिम अंसारी नाम के एक युवक ने 10 साल की जनजाति बच्ची को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इसके बाद उसने उसे मरा मानकर सड़क पर फेंक दिया, ताकि कोई गाड़ी उस पर चढ़ जाए और लोग मान लें कि सड़क दुर्घटना में उसकी जान गई है। संयोग से कुछ ही देर बाद उधर से एक बस गुजर रही थी। चालक ने बस रोककर उस बच्ची को देखा तो अभास हुआ कि उसकी सांस चल रही है। तब तक गांव के भी कुछ लोग वहां जमा हो गए। उन लोगों ने बच्ची को पहचान लिया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची ने ही लोगों को बताया कि उसे हाशिम अंसारी ने मारा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़िता के पिता बाहर काम करते हैं और उसकी मां गढ़वा में प्रतिदिन दिहाड़ी मजदूरी करती हैं। 2 सितंबर को उसकी मां मजदूरी करने गई थी और बच्ची घर पर अपने पड़ोस की एक बच्ची के साथ खेल रही थी। पड़ोस की वह बच्ची हाशिम की बेटी है।
किसी कारणवश वह बच्ची अपने घर की कुंडी लगाकर कुछ देर के लिए बाहर गई। इसी बीच हाशिम की बेटी ने घर की कुंडी खोलकर आलमारी में रखे 50,000 रु- चुरा लिए। जब तक हाशिम की बेटी उसके घर से निकलती तब तक वह बच्ची वहां पहुंच गई और उसने उसे पैसा चुराते हुए देख लिया। इसके बाद हाशिम की बेटी पैसा लेकर अपने घर की ओर भाग गई। उसका पीछा करते हुए वह बच्ची भी हाशिम के घर पहुंच गई। वहां हाशिम मिला तो बच्ची ने पूरी घटना बताई। इसके बाद भी हाशिम ने अपनी बेटी को तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उसने उस बच्ची को जमकर पीट दिया। वह वहीं बेहोश हो गई।
जब बच्ची के घर वालों को इसकी पूरी जानकारी हुई तो उन्होंने पुलिस में लिखित शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने हाशिम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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