देव देवियों की भूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में एक सोची समझी साजिश के तहत मुस्लिम आबादी पांव पसार रही है। यूपी से आए मुस्लिम यहां सड़कों के किनारे सरकारी जमीन पर पहले तख्त लगा कर कब्जा करते है फिर नारियल पानी बेचते है धीरे धीरे अपने और साथियों को बुलाकर, फल सब्जी आदि के खोखे लगवा देते है। खास बात ये कि इस साजिश में स्थानीय मुस्लिम और पुलिस प्रशासन के लोग भी शामिल होते है जोकि हफ्ता वसूली कर इन्हे यहां काबिज होने का संरक्षण दे रहे है।
हिमांचल राज्य ऐसा है जहां बाहरी प्रदेश का व्यक्ति जमीन जायदाद नही खरीद सकता यहां के सख्त भू कानून की वजह से ही प्रदेश की आबादी रजिस्टर में मुस्लिम आबादी दो प्रतिशत से कुछ ज्यादा है। जानकारी के मुताबिक ये दावा कागजी है। हकीकत में हिमाचल में मुस्लिम आबादी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रही है। इसका उदाहरण पिछले दिनों सामने आया।
पूरे हिमाचल में सड़कों के किनारे तख्त लगाकर नारियल बेचने वालो की बाढ़ सी आ गई है। आज से दो तीन साल पहले नारियल पानी बेचने वाले का कोई भी खोका नही हुआ करता था। लेकिन अब अचानक से इतनी बड़ी तादाद में ये नारियल पानी बेचने वालों की इतनी संख्या, शहरो कस्बों में कैसे दिखाई देने लगी है ?
जानकारी के मुताबिक ये नारियल पानी बेचने वाले यूपी के सहारनपुर, देवबंद, रामपुर, बिजनौर आदि इलाको से यहां आकर योजनाबद्ध तरीके से बस रहे है। ये यहां एक एक करके आते है और तख्त लगाकर उस पर नारियल पानी बेचते है. फिर रात में आसपास सरकारी जमीन पर झोपड़ी बना कर कब्जा कर रहने लगते है। ये कब्जे सरकार के अतिक्रमण की श्रेणी में आते है। जिन्हे अवैध कब्जा भी कहा जाता है।
दरअसल नगर परिषद, नगर निगम या जिला पंचायत के नियम के अनुसार फल सब्जी नारियल पानी अथवा किसी भी प्रकार का कारोबार “रेड़ी” पर ही किया जा सकता है, जोकि चलायमान हो, उसे ज्यादा देर रुक कर कारोबार करने की इजाजत नहीं होती.
बिना पहिए का खोखा यदि कहीं रखा जाता है तो वो अवैध कब्जा माना जाता है। पहिए वाले रेड़ी की बकायदा निगम, परिषद या पंचायत से पर्ची कटती है और फल सब्जी या अन्य खाने पीने का सामान बेचने के लिए विक्रेता को फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। लेकिन हिमाचल में ये नारियल बेचने वाले किसी भी स्थानीय निगम परिषद, पंचायत का लाइसेंस नहीं लिया हुआ है नियमानुसार इनकी कोई पर्ची भी नही कटती है।
वहीं स्थानीय पुलिस भी इनका सत्यापन नही करवा रही कि आखिर ये कौन है कहां से आकर बसे है ? इनका कोई पिछला आपराधिक इतिहास तो नही ? जानकारी मिली है कि इनके तख्त डाल कर बैठने के पीछे,कथित रूप से स्थानीय पुलिस कर्मियों का संरक्षण भी है। ये नारियल पानी बेचने वाले अस्पतालों के आसपास तख्त डाल कर बैठे हुए मिल जायेंगे।
वहीं जानकारी के अनुसार यहां जितने भी नारियल पानी बेचने वाले है ये यहां अपने असली नाम से नहीं जाने जाते बल्कि अन्य नाम से जाने जाते है. जैसे कि बबलू, गुड्डू या गुलशन. पिछले दिनों हमीरपुर में हिंदू एकता मंच के कुलदीप शर्मा ने एक नारियल पानी बेचने वाले का नाम पूछा तो उसने खुद को सनी बताया जब उसका आधार कार्ड जांचा गया तो वो सरफराज निकला।
जानकारी के मुताबिक सरफराज के 24 से ज्यादा तख्त हमीरपुर के आसपास काबिज है जिनमे यूपी के मुस्लिम युवक सेल्समैन बने हुए है। इन्होंने न सिर्फ अपनी जमात को बढ़ाया है बल्कि स्थानीय लोगो के रोजगार को भी छीनना शुरू कर दिया है।
हिमाचल के हर शहर कस्बे में एक सरफराज जैसा युवक इन नारियल पानी बेचने वालो का सरगना होता है। दिल्ली से नारियल का ट्रक चलता है और वो हर शहर में अपना माल उतारता हुआ जाता है। ये इसी तरह ये पूरे हिमाचल में फैल गए है। नारियल पानी के बाद इन मुस्लिम युवकों की अगली खेप सड़क किनारे अन्य फलों के कारोबार करने के लिए पहुंचने लगती है, सबसे पहले ये अनानास के तख्त लगाते है फिर पेटियों के सहारे दिल्ली और बाहरी मंडियों के फल लगाने शुरू करते है और अपनी मुस्लिम आबादी के पांव जमाते जाते है।
हिंदू एकता मंच के संयोजक कुलदीप शर्मा बताते है कि हिमाचल में एक सर्वे के अनुसार जानकारी मिली है कि चार हजार से ज्यादा नारियल पानी बेचने वाले मुस्लिम यहां की सरकारी जमीनों पर काबिज है जिनका कोई पुलिस वेरिफिकेशन नही है। इनकी पहचान के लिए कई बार जिला प्रशासन को लिखित ज्ञापन भी दिया गया है।
हिंदू जागरण मंच के प्रदेश महामंत्री कमल गौतम के अनुसार ये नारियल बेचने वाले यहां की सरकारी जमीनों पर अपना फड और झोंपड़ी डालकर कब्जा तो कर ही रहे है साथ ही इनके साथ आए लोग यहां अवैध रूप मजारे मस्जिदें बना रहे है और उनमे जमात के साथ इकठ्ठा होकर रातें भी गुजरते है.
कमल गौतम ने बताया कि अगर किसी से आधार कार्ड या पहचान पत्र के बारे में पूछा जाता है तो ये लोग एक दम पच्चीस तीस कि तादाद में एकत्र हो जाते है और बहस करने लगते है। ये एक साजिश के तहत यहां काबिज होते जा रहे है। एक न एक दिन ये लोग जनसंख्या असंतुलन अवश्य पैदा करेंगे। हम राज्य सरकार से निवेदन करते है कि इनकी पहचान की जाए और इनका सत्यापन भी करवाया जाए।
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