ज्यादा वक्त नहीं बीता, जब गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हिंसक गतिरोध देखने में आया था। चीन के सैकड़ों सैनिकों ने भारत की सीमा का अतिक्रमण करने की हिमाकत की थी और जिसका मुट्ठीभर भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसके बाद अनेक दौर की सीमा वार्ताएं हो चुकी हैं, सीमा पर यथास्थिति बनाए रखते हुए अप्रैल 2020 की स्थिति में आने की सहमति होने के बाद भी कम्युनिस्ट चीन अपनी धूर्तताओं से बाज नहीं आ रहा है।
ताजा जानकारी के अनुसार, उपग्रह ने कुछ ऐसी तस्वीरें प्राप्त हुई हैं जो दिखाती हैं कि चीन पूर्वी लद्दाख मे पैंगोंग त्सो झील से कहीं दूर नहीं हुआ है। 29 अगस्त को एलएसी के पास से प्राप्त नई उपग्रह तस्वीरें बताती हैं कि चीन ने झील के पास फिंगर 4 तथा फिंगर 8 इलाकों के निकट रेडोम ढाचे बनाए हैं।
बड़े गुंबद के आकार के रेडोम ऐसे ढांचे हैं जो खराब मौसम में रडार की सुरक्षा करते हैं। इसके साथ ही वे बिना किसी बाधा के विद्युत चुम्बकीय संकेत पाने में मदद करते हैं। सोशल मीडिया में इन चित्रों को ट्वीट करने वाले डेमियन साइमन ने दावा किया है कि ये चित्र वहां बन रहे सौर पैनल और एक प्रस्तावित रडार का खाका दिखाते हैं। (देखें ट्वीट और उसमें दिए चित्र)
Monitoring of the #PangongTso area has revealed the construction of a new radome structure by #China, likely for providing early warning or surface monitoring data to PLA troops in the disputed border area with #India pic.twitter.com/6AV52VrAh9
— Damien Symon (@detresfa_) August 29, 2022
दो साल पहले मई 2020 में इसी पैंगोंग त्सो झील के पास पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच हिंसक गतिरोध छिड़ा था। उसके करीब दो साल बाद इस तरह की हरकतें सामने आना चीन की मंशा साफ करता है।
यहां बता दें कि जनवरी 2022 में भी मीडिया में यह खबर आई थी कि चीन एलएसी के अपनी ओर पैंगोंग त्सो झील पर एक पुल बना रहा है। माना जाता है कि भविष्य में भारतीय सेना की कार्रवाई हुई तो इन पुलों के जरिए चीन उसका प्रतिरोध करेगा। इसके अलावा सितंबर 2020 और 2021 के बीच जारी तनाव के दौरान चीन की सेना ने भारतीय सैनिकों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए ‘मोल्डो गैरीसन’ तक के लिए एक नई सड़क बना ली थी।
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