नैनीताल से करीब चालीस किमी रामगढ़ की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना ये खंडहर कभी गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगौर का अस्थाई निवास हुआ करता था, गुरुदेव यहां गर्मियों में आकर हिमालय से संवाद करते हुए अपने महा काव्यो की रचना किया करते थे।
गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर इस भवन में रहते थे,जो अब खण्डहर में बदल गया है। इसके लिए न तो किसी सरकार ने सुध ली न ही किसी साहित्यकार ने। रामगढ़, नैनीताल, उत्तराखंड में स्थित यह भवन वहां की सबसे ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। अब यह जगह टैगौर टाॅप के नाम से जानी जाती है ।
आजकल बरसात वहां में जाने वाली पगडण्डी झाड़ियों से भरी है। घने बांज, बुराशं के जंगल से बीच पैदल रास्ता लगभग दो किलोमीटर है जिसमें आधा रास्ता सीसी वाला व शेष रास्ता बिल्कुल कच्चा है।
इस विरासत को सजाने संवारने के लिए यहां राज्य सरकार के भाषा संस्कृति विभाग के अधिकारियों की नजर पड़नी जरूरी है। रविन्द्र नाथ टैगोर ने कभी यहां “गीतांजली” महाकाव्य पर काम किया था। टैगोर टाॅप से एक तरफ भव्य हिमालय के दर्शन होते हैं। तो दूसरी ओर से मैदानी इलाका दिखाई देता है।
इसी टैगौर टॉप के नीचे इन दिनों भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय द्वारा बनाए जा रहे गुरु रविंद्र नाथ टैगोर केंद्रीय विश्व विद्यालय के कैंपस परिसर का शिलान्यास हुआ है। क्षेत्र के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संजीव भगत कहते है कि इस जर्जर खंडहर भवन को यदि ठीक कर दिया जाए तो ये स्थान रमणीक तो होगा ही ऐतिहासिक भी होगा।
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