बहुभाषी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू ऐप (Koo App) ने 10 भाषाओं में ‘टॉपिक्स’ नामक एक बेहतरीन इन-ऐप फीचर की शुरुआत की है। बहुभाषी यूजर्स को टॉपिक्स काफी ज्यादा व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करते हैं। हिंदी, बांग्ला, मराठी, गुजराती, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, असमिया, पंजाबी और अंग्रेजी जैसी 10 भारतीय भाषाओं में इस फीचर को मुहैया कराने वाला कू ऐप पहला और एकमात्र मंच है।
‘सबसे पहले भाषा’ दृष्टिकोण के साथ सभी को एकजुट करने वाला मंच होने के नाते कू ऐप के पास विभिन्न आयु-वर्ग-स्थान के यूजर्स हैं। इनमें लाखों ऐसे क्रिएटर्स शामिल हैं, जो पहली बार सोशल मीडिया पर आए हैं और कविता, साहित्य, कला, संस्कृति, खेल, फिल्म, आध्यात्मिकता के माध्यम से सक्रिय रूप से खुद को व्यक्त करते हैं। टॉपिक्स के माध्यम से यूजर्स को केवल उस तरह का कंटेंट देखने को मिलता है, जो उनके लिए सबसे अधिक प्रासंगिक होता है। इस तरह कू ऐप पर टॉपिक्स फीचर उनकी यात्रा को और अधिक सार्थक और समृद्ध बनाता है।
कू ऐप पर होने वाली तमाम चर्चाओं के बीच, टॉपिक्स फीचर यूजर्स के लिए प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद फ़ीड को स्क्रॉल करने के बजाय उनकी दिलचस्पी और पसंद के अनुसार कंटेंट चुनना और देखना आसान बनाता है। मिसाल के तौर पर स्वास्थ्य से संबंधित समाचार और जानकारी चाहने वाला यूजर टीकाकरण, जीवन शैली की बीमारियों, चिकित्सा विशेषज्ञों से स्वास्थ्य संबंधी सलाह आदि से जुड़ी सभी प्रासंगिक कू पोस्ट देखने के लिए टॉपिक टैब के अंतर्गत ‘स्वास्थ्य’ सेक्शन पर क्लिक कर सकता है।
कू ऐप के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका कहते हैं, “10 भारतीय भाषाओं में टॉपिक्स को लॉन्च करने वाला पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होने पर हमें गर्व है। यह फीचर ना केवल यूजर्स को उनकी दिलचस्पी का कंटेंट खोजने में मदद करता है बल्कि प्रासंगिक यूजर्स द्वारा कई क्रिएटर्स को खोजने में भी मदद करता है। यूजर्स के लिए इस फीचर की प्रासंगिकता काफी ज्यादा है, क्योंकि हर महीने हमारे मंच पर 2 करोड़ से ज्यादा टॉपिक्स को फॉलो किया जाता है। हम टॉपिक को वर्गीकृत करने के लिए कॉम्प्लेक्स मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें सटीकता का स्तर बेहद ज्यादा होता है। अस्तित्व में आने के बाद काफी कम वक्त में इस तरह की जटिलता में महारत हासिल करने पर हमें गर्व है। मुझे उम्मीद है कि इस साल के अंत तक 10 करोड़ से अधिक टॉपिक्स हर महीने फॉलो किए जाएंगे।”
कू ऐप के मशीन लर्निंग के प्रमुख हर्ष सिंघल ने कहा, “कई भाषाओं में टॉपिक्स लाने के लिए कई अत्याधुनिक मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेंज प्रोसेसिंग (एनएलपी) तकनीकों का एक संयोजन किया गया है। अंग्रेजी भाषाओं के उलट भारतीय भाषाओं के लिए एनएलपी तकनीक में व्यापक इकोसिस्टम उपलब्ध नहीं है। कू ऐप ने भारतीय भाषाओं में टॉपिक्स के निर्माण के लिए भारतीय भाषा की एनएलपी को लागू करने के लिए तमाम क्षेत्रों में नवाचार किया है। कू ऐप की मशीन लर्निंग टीम ने लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) और कुछ सबसे जटिल न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर को प्रशिक्षित किया है, जो मंच पर सबसे ज्यादा चर्चा किए जाने वाले विषयों को ढूंढ़ते हैं। शायद कू ऐप पर भारत में हर रोज चर्चा किए जाने वाले विषयों की सबसे ज्यादा विविधता है। इस वास्तविकता को देखते हुए, हमारे पास जो कुछ भी है उसे हासिल करना भारत के लिए बहुत बड़ी बात है। सबसे रोमांचक बात तो यह है कि यह सिर्फ हमारी शुरुआत भर है!”
कू ऐप ने हाल ही में साढ़े चार करोड़ डाउनलोड का आंकड़ा हासिल किया है, जो एक साल पहले केवल एक करोड़ था और यह इसके तेजी से आगे बढ़ने वाले वक्त को पेश करता है। बिदावतका कहते हैं, “कू ऐप भविष्य में 10 करोड़ डाउनलोड हासिल करने की इच्छा रखता है और ऐसी तकनीक का निर्माण करता है जो दुनिया में हर जगह देशी भाषा बोलने वाले को सशक्त बना सके। भारत की तरह, दुनिया के लगभग 80% लोग अपनी मातृभाषा बोलते हैं। भारत से आने वाला एक मंच होने के नाते, कू ऐप बहुभाषी समाजों की बारीकियों और लोकाचार को समझता है और हमारी तकनीक वैश्विक स्तर पर भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर सकती है।”
टॉपिक्स, किसी भी वक्त कू ऐप पर 10 भाषाओं में यूजर्स द्वारा की जा रही चर्चा को दर्शाते हैं। इसमें विभिन्न श्रेणियों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, फिल्में, खेल), प्रतिष्ठित शख्सियतों, संगठनों (जैसे इसरो, आईएमएफ, आदि), स्थान (खबरों में शामिल राज्य, शहर, देश) और कई अन्य ट्रेंडिंग टॉपिक के साथ सबसे लोकप्रिय टॉपिक्स शामिल हैं।
गौरतलब है कि कू ऐप एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है। इसे मार्च 2020 में लॉन्च किया गया था। इसका मकसद दुनियाभर के यूजर्स को अपनी मातृभाषा में ऑनलाइन अभिव्यक्ति करने में सक्षम करना है।
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