प्रभुदयाल चुटानी
डेरा गाजीखान, पाकिस्तान
विभाजन के समय दो साल का था। मेरे पिताजी जब तक जीवित रहे, वे विभाजन के दौरान होने वाले अत्याचारों को बताते रहे। बंटवारे के समय हमारे कोटछूटा कस्बे में भी लूटपाट-आगजनी हुई।
उस वक्त कोटछूटा में एक बहुत ही प्रभावशाली व्यक्ति थे, जिनका नाम था-चौधरी पुन्नू राम। वे हिंदू और मुसलमानों के बीच भी प्रभाव रखते थे। उनके प्रभाव के कारण हिंदुओं को पहले ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, लेकिन जब आसपास के इलाकों से हिंदू पलायन कर गए तब कोटछूटा पर हमले अधिक होने लगे।
उन्होंने एक दिन कई ट्रक मंगवाए और हिंदुओं से कहा कि इनमें अपना सामान रखो और यहां से निकलो। मेरे दादाजी मंगाराम भी एक ट्रक पर सवार होने लगे, तभी वहां कुछ मुसलमान आए और उन्होंने हमला कर दिया। वे बुरी तरह घायल हो गए।
दादाजी के शरीर से इतना खून बहा कि रास्ते में ही उनका निधन हो गया।
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